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प्रकृति और प्रणय की संवेदना के कवि थे हैं गोपाल सिंह नेपाली : डॉ.संध्या

बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के हिदी विभाग की ओर से सुप्रसिद्ध कवि एवं गीतकार गोपाल सिंहनेपाली की जयंती ऑनलाइन मनाई गई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 01:57 AM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 01:57 AM (IST)
प्रकृति और प्रणय की संवेदना के कवि थे हैं गोपाल सिंह नेपाली : डॉ.संध्या
प्रकृति और प्रणय की संवेदना के कवि थे हैं गोपाल सिंह नेपाली : डॉ.संध्या

मुजफ्फरपुर। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के हिदी विभाग की ओर से सुप्रसिद्ध कवि एवं गीतकार गोपाल सिंह'नेपाली' की जयंती ऑनलाइन मनाई गई। दो सत्रों में आयोजित इस कार्यक्रम के पहले सत्र में विचार-गोष्ठी की अध्यक्षता हिदी विभागाध्यक्ष प्रो.सतीश कुमार राय ने की। डॉ.उज्ज्वल आलोक ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखी। कहा कि नेपाली की काव्य-भाषा आम जन की भाषा से अनुप्राणित थी, इसलिए उत्तर-छायावाद काल के कवियों में उन्हें अपार लोकप्रियता हासिल हुई। डॉ.संध्या पांडेय ने कहा कि नेपाली प्रकृति और प्रणय की संवेदना के कवि हैं। डॉ. सुशांत कुमार ने नेपाली को युगीन परिस्थितियों के प्रति सजग कवि के रूप में रेखांकित किया। प्रसिद्ध आलोचक तथा हिदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. रेवती रमण ने कहा कि नेपाली राष्ट्रीय भावधारा के कवि हैं। प्रो.सतीश कुमार राय ने नेपाली के साहित्यिक योगदान और जीवन-संघर्ष का उल्लेख किया। कहा कि वे प्रेम, सौंदर्य और स्वाभिमान के कवि हैं। उनके गीत लोकगीतों की शक्ति और संवेदना के संवाहक हैं। मौके पर गीतांजलि कुमारी, मीनू मिश्रा, रामेश कुमार, चांदनी कुमारी, निशा प्रवीण, ममता कुमारी, मनीषा, वीणा रानी, स्नेहा सिन्हा, सिंह कुमारी सौरभ, आदित्य धनराज और साक्षी कुमारी आदि विद्यार्थियों ने अपने विचार रखे। धन्यवाद ज्ञापन डॉ.राकेश रंजन ने किया।

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धरती और आकाश बदलकर गीतों के इतिहास में तुम..

दूसरा सत्र में आयोजित कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता प्रसिद्ध कवि मदन कश्यप ने की। राष्ट्रीय स्तर के दर्जनभर कवियों की भागीदारी से समृद्ध इस सत्र का कुशल संचालन डॉ. संध्या पांडेय ने किया। विभागाध्यक्ष ने कवियों और श्रोताओं का स्वागत किया। नेपाली को समर्पित सुरेश गुप्त की पंक्तियां ''''धरती और आकाश बदलकर गीतों के इतिहास में तुम/ कलम रही स्वाधीन तुम्हारी, सच्चाई की सांस में तुम'''' काफी सराही गईं। संतोष पटेल की पंक्ति ''''मुस्कुराकर बोल दो पत्थर में प्राण आ जाएगा'''' सुनकर श्रोता खिल उठे। अरुण गोपाल ने गजलों और मुक्तकों का पाठ किया। ''''जो बसी थीं मन हमारे मूरतें, जाती रहीं/ बारी-बारी थीं जो अच्छी सूरतें, जाती रहीं'''' उनकी ये पंक्तियां पसंद की गईं। नताशा, राकेश रंजन, उज्ज्वल आलोक, शायर संजय कुमार कुंदन, पूनम सिंह ने भी काव्य पाठ किया। मदन कश्यप ने ''''चिड़िया की चोंच'''' और ''''पहरेदार के नाम'''' शीर्षक कविताएं सुनाईं। कहा कि आज साहित्य, राजनीति और जीवन में अगंभीरता और अश्लीलता बढ़ गई है, जो चिताजनक है। हमें इन चीजों के खिलाफ सर्जनात्मक संघर्ष करते रहना है। कार्यक्रम में विभाग के शिक्षकों और विद्यार्थियों सहित अनेक प्रसिद्ध कवि और विद्वान उपस्थित रहे।


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