Move to Jagran APP

पितृ पक्ष आज से, सच्ची निष्ठा से करें पितरों का श्राद्धकर्म

पितृ पक्ष का समय पितृ दोष को मिटाने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 06:00 AM (IST)
पितृ पक्ष आज से, सच्ची निष्ठा से करें पितरों का श्राद्धकर्म
पितृ पक्ष आज से, सच्ची निष्ठा से करें पितरों का श्राद्धकर्म

मुजफ्फरपुर। पितृ पक्ष का समय पितृ दोष को मिटाने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। यदि इस पक्ष में सच्ची निष्ठा से पितरों का श्राद्धकर्म किया जाए तो व्यक्ति के जीवन में खुशियों के द्वार खुल जाते हैं। इस बार पितृ पक्ष की शुरुआत मंगलवार से हो रही है। ¨हदू धर्म में इस पक्ष का खास महत्व बताया गया है। शास्त्रों में भी कहा गया है कि इस पक्ष में प्रत्येक व्यक्ति को अपने पितरों के निमित्त तिथि के अनुसार उनके श्राद्ध कार्य करने चाहिए। पूर्वजों के स्वर्गवास तिथि को ही श्राद्ध कार्य किए जाने चाहिए ऐसा शास्त्रों में वर्णित है। ब्रह्मापुरा स्थित बाबा सर्वेश्वरनाथ मंदिर के आचार्य पं.अभिनव पाठक व उमेश नगर, जीरोमाइल के गुरुदेव नीरज बाबू के मुताबिक, मंगलवार को अगस्त्य मुनि को जल देने के साथ ही तर्पण शुरू हो जाएगा। पितृ पक्ष के दौरान दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शाति के लिए श्राद्ध किया जाता है। मान्यता है कि अगर पितर नाराज हो जाएं तो व्यक्ति का जीवन भी खुशहाल नहीं रहता और उसे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यही नहीं, व्यक्ति के घर में भी अशाति रहती है। व्यापार व गृहस्थी में हानि झेलनी पड़ती है। ऐसे में पितरों को तृप्त करना और उनकी आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध करना जरूरी माना जाता है। हरिसभा चौक राधाकृष्ण मंदिर के पुजारी पं.रवि झा बताते हैं कि श्राद्ध के जरिए पितरों की तृप्ति के लिए भोजन अर्पण किया जाता है और पिंड दान व तर्पण कर उनकी आत्मा की शांति की कामना की जाती है।

loksabha election banner

पितृ पक्ष का महत्व

¨हदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व बताया गया है। ¨हदू धर्मावलंबियों में मृत्यु के बाद मृत व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करना बेहद जरूरी माना जाता है। मान्यता है कि अगर श्राद्ध न किया जाए तो मरने वाले व्यक्ति की आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती। वहीं कहा जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध करने से वे प्रसन्न होते हैं और उनकी आत्मा को शाति मिलती है।

किस दिन करें श्राद्ध

दिवंगत परिजन की मृत्यु की तिथि में ही श्राद्ध किया जाता है। यानी अगर परिजन की मृत्यु प्रतिपदा के दिन हुई हो तो प्रतिपदा के दिन ही श्राद्ध करना चाहिए। आमतौर पर पितृ पक्ष में इस तरह श्राद्ध की तिथि का निर्धारण किया जाता है।

- जिन परिजन की अकाल मृत्यु या किसी दुर्घटना या आत्महत्या का मामला हो तो श्राद्ध चतुर्दशी के दिन किया जाता है।

- दिवंगत पिता का श्राद्ध अष्टमी के दिन और मां का श्राद्ध नवमी के दिन किया जाता है।

- जिन पितरों के मरने की तिथि याद नहीं हो या पता न हो तो अमावस्या के दिन श्राद्ध करना चाहिए।

- अगर कोई महिला सुहागिन की मृत्यु हुई हो तो उसका श्राद्ध नवमी को करना चाहिए।

- संन्यासी का श्राद्ध द्वादशी को किया जाता है।

ये बरतें नियम

-पितृ पक्ष के दौरान कोई भी शुभ कार्य या अनुष्ठान नहीं करना चाहिए। हालांकि देवताओं की नित्य पूजा बंद नहीं करनी चाहिए।

-श्राद्ध पक्ष के दौरान पान खाने, तेल लगाने और रति कर्म की मनाही है।

- रंगीन फूलों का इस्तेमाल भी वर्जित है।

- पितृ पक्ष में चना, मसूर, बैगन, हींग, शलजम, मांस, लहसुन, प्याज व काला नमक नहीं खाया जाता है।

- इस दौरान लोग नए वस्त्र, नया भवन, गहने या अन्य कीमती सामान नहीं खरीदते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.