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मधुबनी जिले में कालाजार के चार नए मरीज चिन्हित, जांच व उपचार जारी

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकरी डॉ. विनोद कुमार झा ने बताया कि जिला से कालाजार शून्य करने की दिशा में अनेक तरह की पहल की जा रही है। विद्यालयों गावों में जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। गांव स्तर पर चिकित्सकों आशा की सहभागिता से खोज कार्यक्रम शामिल हैं।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 12 Oct 2021 10:50 AM (IST)Updated: Tue, 12 Oct 2021 10:50 AM (IST)
मधुबनी जिले में कालाजार के चार नए मरीज चिन्हित, जांच व उपचार जारी
जिले में इस वर्ष अब तक मिल चुके कालाजार के 14 मरीज।

मधुबनी, जासं। कालाजार उन्मूलन को लेकर जिले के चिह्नित 82 गांवों में सिंथेटिक पायराथाइड का छिड़काव कार्य बीते छह अक्टूबर को पूरा कर लिया गया। इस दौरान कालाजार तथा पीकेडीएल के दो-दो मरीजों की पुष्टि हुई है। बता दें कि 15 जुलाई से 66 दिनों तक छिड़काव के साथ डोर टू डोर मरीजों की जांच की गई। कालाजार नियंत्रण के लिए सर्च अभियान के दौरान मिले संभावित कालाजार मरीजों की जांच व उपचार के लिए जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकरी डॉ. विनोद कुमार झा के मार्गदर्शन में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार नीरज कुमार सिंह तथा केयर इंडिया के डीपीओ धीरज कुमार सिंह द्वारा कालाजार तकनीकी पर्यवेक्षकों और कालाजार ब्लॉक कोऑर्डिनेटरों को प्रशिक्षण दिया गया था। कालाजार शून्य करने के दिशा में दर्जनों कालाजार और पीकेडीएल के संभावित मरीजों की जांच की गई। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकरी डॉ. विनोद कुमार झा ने बताया कि जिला से कालाजार शून्य करने की दिशा में अनेक तरह की पहल की जा रही है। विद्यालयों, गावों में जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। गांव स्तर पर चिकित्सकों, आशा की सहभागिता से खोज कार्यक्रम शामिल हैं। कालाजार की वाहक बालू मक्खी को खत्म करने तथा कालाजार के प्रसार को कम करने के लिए इंडोर रेसीडूअल स्प्रे (आईआरएस) किया जाता है।

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इस वर्ष अब तक मिले 14 मरीज

जिले में वर्ष 2009 में कालाजार के 730 मरीज, 2010 में 630, 2011 में 538, 2012 में 415, 2013 में 321, 2014 में 256, 2015 में 187, 2016 में 108, 2017 में 85, 2018 में 50, 2019 में 31 और 2020 में 28 मरीज मिले। वहीं, इस वर्ष अब तक 14 मरीज मिल चुके हैं।

हर पीएचसी पर जांच सुविधा उपलब्ध

डॉ. झा ने बताया जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कालाजार जांच की सुविधा उपलब्ध है। कालाजार की किट (आरके-39) से दस से 15 मिनट के अंदर जांच हो जाता है। कालाजार के इलाज में विशेष रूप से प्रशिक्षित एमबीबीएस चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी लगाए गए हैं। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार नीरज कुमार सिंह ने बताया कि कालाजार एक संक्रमण बीमारी है। इस बीमारी का असर शरीर पर धीरे-धीरे पड़ता है। मिट्टी की दीवारों की दरारों, चूहे के बिलों तथा नम मिट्टी में रहने वाले बालू मक्खी का संक्रमण एक से दूसरे लोगों में फैलाता है। केयर इंडिया के डीपीओ धीरज कुमार ने बताया केयर इंडिया के कालाजार ब्लॉक कोऑर्डिनेटर व मलेरिया कार्यालय द्वारा संयुक्त रूप से जिले के नौ प्रखंड बेनीपट्टी, बिस्फी, रहिका, लदनिया, खुटौना, लौकही, बासोपट्टी और झंझारपुर, जयनगर में विशेष अभियान चलाकर 2955 घरों के 22595 परिवारों की आर-39 किट से जांच की गई।

पीड़ितों को सरकार से मिलती आर्थिक मदद

कालाजार पीड़ित रोगी को मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में राशि दिए जाते हैं। बीमार व्यक्ति को 6600 रुपये राज्य सरकार की ओर से और 500 रुपये केंद्र सरकार की ओर से दिए जाते हैं। यह राशि वीएल (ब्लड रिलेटेड) कालाजार में रोगी को प्रदान की जाती है। वहीं, चमड़ी से जुड़े कालाजार (पीकेडीएल) में चार हजार रुपये की राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाती है। 


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