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Shahabuddin Dead: मुजफ्फरपुर से पूर्व सांसद शहाबुद्दीन ने पूरी की थी लॉ की पढ़ाई

Shahabuddin Dead राजद के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्​दीन की शनिवार की सुबह कोरोना संक्रमण से मौत हो गई। इससे स्थानीय पार्टी कार्यकर्ता दुख जाह‍िर की। पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड मामले में सुनवाई मुजफ्फरपुर में चल रही है। जिसमें वे मुख्य अभियुक्त थे।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 01 May 2021 09:33 AM (IST)Updated: Sun, 02 May 2021 07:55 AM (IST)
Shahabuddin Dead: मुजफ्फरपुर से पूर्व सांसद शहाबुद्दीन ने पूरी की थी लॉ की पढ़ाई
शहाबुद्​दीन मुजफ्फरपुर से कई रूप में जुड़े रहे हैं। फाइल फोटो

मुजफ्फरपुर, आनलाइन डेस्क। Shahabuddin Dead: सिवान के पूर्व सांसद शहाबुद्​दीन का निधन।  मुजफ्फरपुर के राजद कार्यकर्ताओं व समर्थकों ने दुख जताया। वे पिछले दिनों कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे। उसके बाद उनका इलाज दिल्ली केे एम्स में चल रहा था। शनिवार की सुबह इसकी अफवाह फैल गई थी। हालांकि बाद में अस्पताल प्रबंधन और जेल प्रबंधन ने इस खबर का पहले खंडन किया था। अभी कंफर्म कर दिया गया है।

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सिवान के पूर्व सांसद और राजद के बाहुबली नेता के रूप मेें अपनी पहचान रखने वाले मोहम्मद शहाबुद्​दीन का कई रूपों में मुजफ्फरपुर से जुड़ाव रहा है। सबसे ताजा जुड़ाव की बात करें तो अभी उनसे जुड़े एक मामले की सुनवाई मुजफ्फरपुर में हो ही रही है। जिसके वे प्रमुख अभियुक्ताों में एक हैं। यह मामला है सिवान के ही पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या का। इसकी सुनवाई के दौरान कई बार वे दिल्ली के तिहाड़ जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए थे।

मुजफ्फरपुर से शहाबुद्​दीन के जुड़ाव की पहली चर्चा उस समय सुर्खियों में आई थी जब उन्होंने जेल में बंद रहते हुए यहां के एसकेजे लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई पूरी की थी। इसकी परीक्षा में शाम‍िल होने यहां आए भी थे। उस समय इसकी खूब चर्चा हुई थी। हाल के दिनों में एक बार फि‍र  सिवान के इस बाहुबली नेता का मुजफ्फरपुर से जुड़ाव को लेकर चर्चा हुई थी। यह मामला था उनके भागलपुर सेंट्रल जेल से रिहा होकर सिवान लौटने का। दरअसल, दिल्ली के तिहाड़ जेल जाने से पहले भागलपुर सेंट्रल जेल से सड़क मार्ग से सिवान जा रहे थे। जब उनका काफिला मुजफ्फरपुर पहुंचा तो मनियारी टोल प्लाजा पर उनसे बिना टैक्स वसूले ही काफिले को जाने दिया गया। जिसके बाद पूरा विवाद गहरा गया था। बाद में इस मामले की जांच भी करवाई गई थी। हालांकि राजनीतिक रूप से यहां उनकी सक्रियता नहीं के बराबर ही रही है।


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