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30 फीसद भू-भाग में वनों का होना जरूरी, आंकड़ा 20 से भी कम

वनों को बढ़ावा देने और प्रभावी पौधारोपण के लिए अभियान तो चल रहे हैं लेकिन इन्हें सफल नहीं कहा जा सकता। क्योंकि अभियान के तहत लगाए गए पौधों में से कुछ ही बच पाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 02:23 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 02:23 AM (IST)
30 फीसद भू-भाग में वनों का होना जरूरी, आंकड़ा 20 से भी कम
30 फीसद भू-भाग में वनों का होना जरूरी, आंकड़ा 20 से भी कम

मुजफ्फरपुर। वनों को बढ़ावा देने और प्रभावी पौधारोपण के लिए अभियान तो चल रहे हैं, लेकिन इन्हें सफल नहीं कहा जा सकता। क्योंकि अभियान के तहत लगाए गए पौधों में से कुछ ही बच पाते हैं। वनों को बचाने के लिए सार्वजनिक सहभागिता आवश्यक है। इसके लिए गांव स्तर पर समिति बननी चाहिए व हर वर्ष यह अंकेक्षण होना चाहिए कि कितने वृक्ष कटे और उसके बदले कितने पौधे लगाए गए। इस क्षेत्र में अच्छा कार्य करने वाले लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए। 30 फीसद भू-भाग में वनों का होना जरूरी है, जबकि जिले में इसका आंकड़ा 20 से भी कम है।1980 में पर्यावरण संरक्षण के लिए संयुक्त वन व्यवस्थापन कमेटी का गठन हुआ। लेकिन, इसके उद्देश्य धरातल से दूर हैं।

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सामाजिक जागरूकता के कई नमूने पहले भी देखे जा चुके हैं। 1973 में पर्यावरणवादी सुंदर लाल बहुगुणा और चंडी प्रसाद भट्ट ने चिपको आंदोलन चलाया। 1983 में कर्नाटक में पांडुरंग हेगड़े ने अप्पीको आंदोलन चलाया। वनों को बचाने के लिए ये सक्रिय और सरायनीय प्रयास किए गए थे। वनों के संरक्षण से वन्य जीवों की जिदगी बचाई जा सकती है। साथ ही पर्यावरण का संतुलन भी कायम रखा जा सकता है।

- डॉ.मनेंद्र कुमार, पर्यावरणविद सह निदेशक यूजीसी एचआरडीसी, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय

------------------------ पर्यावरण संरक्षकों को मिले पहचान, युवाओं में आएगा उत्साह पौधे लगाने वाले व्यक्ति की पहचान कुछ इस तरह हो जिससे सारा समाज उसे विशेष सम्मान दे। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने वाले युवाओं और संरक्षकों को पर्यावरण मित्र की उपाधि मिले तो इससे समाज में पर्यावरण को लेकर जागरूकता आएगी। पर्यावरण के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वाले युवाओं को पर्यावरण एंबेसडर के रूप में मनोनीत करना होगा। इससे भी प्रभावी पौधारोपण को बल मिलेगा, जो जिला, प्रखंड और पंचायत स्तर पर युवाओं को प्रोत्साहित करना होगा। साथ ही इन्हें लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी देनी होगी। इससे समाज के लोग जागरूक होंगे और नए लोग भी पौधा लगाने और पर्यावरण बचाने के लिए आगे आएंगे। वन विभाग को चलाए जा रहे अभियान में फलदार और औषधीय पौधों को भी शामिल करना होगा। जिससे फायदा को देखकर लोग उसकी देखरेख करेंगे। स्कूलों, कॉलेजों को चिह्नित कर जहां चाहरदीवारी हो उस जगह पौधा लगाकर विद्यार्थियों को उसके संरक्षण की जिम्मेवारी देनी होगी। साथ ही जिस विद्यार्थी की ओर से इस क्षेत्र में सर्वाधिक प्रयास किया जाएगा उसे पुरस्कृत करने के साथ ही कुछ अंक परीक्षा में दिए जाएं तो इससे भी विद्यार्थी पौधारोपण और वनों को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाएंगे।

- रंजन कुमार, युवा पर्यावरणविद

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