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बदला जीने और खाने-पीने का तरीका, बढ़ी इम्यून बूस्टर की मांग

ोरोना वायरस ने जिदगी जीने का तरीका बदल दिया है। खान-पान का तौर-तरीका बदल गया है। वहीं खरीद में इम्यून बूस्टर का चलन बढ़ा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 01:54 AM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 06:12 AM (IST)
बदला जीने और खाने-पीने का तरीका, बढ़ी इम्यून बूस्टर की मांग
बदला जीने और खाने-पीने का तरीका, बढ़ी इम्यून बूस्टर की मांग

मुजफ्फरपुर । कोरोना वायरस ने जिदगी जीने का तरीका बदल दिया है। खान-पान का तौर-तरीका बदल गया है। वहीं खरीद में इम्यून बूस्टर का चलन बढ़ा है।

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बगैर मौसम के भी च्यवनप्राश की बल्ले-बल्ले :

कोरोना से बचाव को लेकर इम्युनिटी बूस्टर पर लोगों का खास जोर है। यही वजह है कि बगैर मौसम के भी च्यवनप्राश की बल्ले-बल्ले है। जबकि आमतौर पर च्यवनप्राश की मांग जाड़े में होती है। दवा दुकानदार मनीष कुमार की मानें तो च्यवनप्राश की बिक्री में 300 फीसद की वृद्धि हुई है। जिले में रोजाना का कारोबार पांच लाख तक पहुंच गया है। बाजार में विभिन्न कंपनियों के च्यवनप्राश 265 से 305 रुपये प्रति किलो की दर से उपलब्ध हैं। इसके अलावा गिलोय टैबलेट व चूर्ण 100 से 150 रुपये में उपलब्ध हैं।

इम्युनिटी बूस्टर में गिलोय व अश्वगंधा की भी मांग बढ़ी है। मार्च में 80 रुपये में बिकने वाले अश्वगंधा की कीमत 135 रुपये हो गई है। हालांकि च्यवनप्राश और गिलोय की कीमत स्थिर है। इसके अलावा एलोवेरा, आंवला, करेला आदि के जूस और तुलसी अर्क की भी मांग बढ़ी है।

पैकेज्ड फूड की मांग में 20 फीसदी का इजाफा :

लोग अब खुले में बिकने वाली सामग्री के उपयोग से परहेज कर रहे हैं। पैकेज्ड फूड की मांग बढ़ रही है। लोग नूडल्स, नमकीन व बिस्किट के अलावा पैकेज्ड समोसा, और मिठाई आधारित पैकेज्ड फूड का इस्तेमाल कर रहे हैं। किराना दुकानदार मोहन प्रसाद और विक्की कुमार के अनुसार मौजूदा वक्त में पैकेज्ड फूड की डिमांड 20 फीसदी बढ़ी है।

जूसर, मिक्सर और ट्रिमर की बढ़ी मांग

कोरोना काल में घर-घर में काढ़ा और जूस तैयार किया जा रहा है। यही वजह है कि इन दिनों जूसर-मिक्सर की बिक्री में इजाफा हुआ है। तिलक मैदान रोड के इलेक्ट्रानिक्स कारोबारी पंकज कुमार बताते है कि जूसर-मिक्सर की बिक्री से राहत मिल रही है। उधर, सैलून जाने से कतरा रहेलोगों में ट्रिमर डिमांड बढ़ी है।

कोरोना के चलते बढ़ा हर घर का सफाई बजट

कोरोना काल में हर घर में सैनिटाइजर, इंसेक्टिसाइड, बैक्ट्रियल लिक्विड और साबुन तथा मास्क बजट में शामिल हो गया है। एक साधारण आय वाला परिवार भी कम से कम 300 से 500 रुपये सफाई मद में खर्च कर रहा है। फेनाइल, हार्पिक, डेटॉल, सेवलॉन, लाइजोल समेत विभिन्न बैक्टिरियल लिक्विड बजट में शामिल हो गए हैं।


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