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बिहार में कोरोना से मृत अनुसूचित जाति के मरीजों के स्वजन को पांच लाख रुपये की सहायता

बिहार राज्य अनुसूचित जाति सहकारिता विकास निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक ने सभी डीएम से मांगी ऐसे लोगों की सूची। जीविकापार्जन के लिए दी जाएगी यह राशि छह फीसद सालाना ब्याज पर दिए जाएंगे चार लाख रुपये एक लाख अनुदान राशि।

By Ajit KumarEdited By: Published: Fri, 02 Jul 2021 12:56 PM (IST)Updated: Fri, 02 Jul 2021 01:31 PM (IST)
बिहार में कोरोना से मृत अनुसूचित जाति के मरीजों के स्वजन को पांच लाख रुपये की सहायता
यह मदद उन परिवारों को ही मिलेगी, जिनकी सालाना आय सीमा तीन लाख तक है।

मुजफ्फरपुर, जासं। कोरोना से मृत अनुसूचित जाति के लोगों के परिवार की मदद के लिए सरकार ने हाथ बढ़ाया है। 18 से 60 वर्ष के मृत ऐसे अनुसूचित जाति के लोगों के आश्रित को पांच लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी। नेशनल शेड्यूल्ड कास्ट््स एंड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन से यह राशि परिवार के जीविकोपार्जन के लिए होगी। स्वनियोजन के लिए चार लाख की राशि सालाना छह फीसद ब्याज पर दी जाएगी। वहीं एक लाख रुपये अनुदान के रूप में मिलेगा। यह मदद उन परिवारों को ही मिलेगी, जिनकी सालाना आय सीमा तीन लाख तक है। बिहार राज्य अनुसूचित जाति सहकारिता विकास निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक दिवेश सेहरा ने सभी जिलाधिकारियों से अनुसूचित जाति के ऐसे लोगों की सूची मांगी है। पत्र के आलोक में जिला आपदा प्रबंधन शाखा ने स्वास्थ्य समिति से कोरोना से मृत अनुसूचित जाति के लोगों की सूची अविलंब उपलब्ध कराने को कहा है। 

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मालूम हो कि राज्य में कोरोना से मृत लोगों के आश्रितों को बिहार सरकार चार लाख रुपये का मुआवजा दे रही है। पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता इससे अलग होगी। सरकार का प्रयास है कि अनुसूचित जाति के गरीब परिवार के मुखिया की मौत के बाद जीविका के संकट को दूर किया जाए। पांच लाख रुपये से पीडि़त परिवार के सदस्य अपने स्किल के हिसाब से किसी व्यवसाय या छोटे-मोटे काम कर सकें। यह राशि जरूरत के हिसाब से कम भी हो सकती है। कोई पीडि़त परिवार चाहे तो चार लाख रुपये से कम राशि भी ब्याज के लिए ले सकता है। प्राप्त की गई कुल राशि की 80 फीसद पर ही छह प्रतिशत सालाना ब्याज देना होगा। शेष 20 फीसद राशि अनुदान के रूप में मिलेगी।

बीडीओ से जारी मृत्यु प्रमाणपत्र कर सकते जमा

योजना का लाभ लेने के लिए कोरोना से मृत होने का प्रमाणपत्र देना अनिवार्य होगा। यह प्रमाणपत्र निबंधक या स्थानीय नगर निकाय की ओर से जारी किया गया हो। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए संबंधित प्रखंड के बीडीओ की ओर से जारी प्रमाणपत्र भी मान्य होगा।  


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