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Muzaffarpur: मच्छरों के दंश से पांच लाख शहरवासियों का जीना मुहाल, निगम के पास नहीं एक्शन प्लान

Muzaffarpur Nagar Nigam News मच्छरों के दंश से पांच लाख शहरवासियों का जीना मुहाल उन्मूलन को लेकर निगम की बैठकों में नहीं होती है चर्चा। पांच फॉगिंग मशीन के सहारे 49 वार्डों में चलता है अभियान मच्छरों से मुक्ति का वादा भूल गए पार्षद।

By Murari KumarEdited By: Published: Tue, 16 Mar 2021 10:28 AM (IST)Updated: Tue, 16 Mar 2021 10:28 AM (IST)
Muzaffarpur: मच्छरों के दंश से पांच लाख शहरवासियों का जीना मुहाल, निगम के पास नहीं एक्शन प्लान
मच्छरों के दंश से मुजफ्फरपुर शहरवासियों का जीना मुहाल।

मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। गर्मी की दस्तक के साथ शहर में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। मच्छरों के दंश से शहरवासियों का जीना मुहाल हो गया है। दिन हो या रात, मच्छर पांच लाख शहरवासियों का खून पी रहे हैं। उनसे मुक्ति दिलाने का जिम्मा नगर निगम पर है, लेकिन निगम मच्छरों को मारने की जगह महज खानापूरी कर रहा है। मच्छरों से मुक्ति दिलाने का वादा कर कुर्सी पाने वाले पार्षद अपना वादा भूल गए। मच्छर उन्मूलन अभियान के लिए खरीदी गई पांच फॉगिंग मशीन सिर्फ लोगों को खुश करने के लिए है, मच्छरों के नियंत्रण में वह पूरी तरह से विफल है। नालियों में दवा के छिड़काव को खरीद की गई स्प्रे मशीन भी अंचलों की शोभा बढ़ा रही हैं।  पांच फॉगिंग मशीन के सहारे 49 वार्डों में दो-चार माह पर अभियान चलाया जाता है। शहरवासियों को मच्छरों के दंश से मुक्ति दिलाने का निगम के पास कोई एक्शन प्लान नहीं है। निगम सशक्त स्थायी समिति एवं निगम बोर्ड की बैठकों में भी इसको लेकर कभी चर्चा नहीं हुई। 

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मच्छरों के दंश से बीमार हो रहे शहरवासी  

पहले रात में मच्छरों का दंश झेलना पड़ता था, लेकिन अब दिन में भी चैन नहीं। मच्छर न सिर्फ शहरवासियों की नींद उड़ा रहे हैं, बल्कि मलेरिया, कालाजार, डेंगू , जापानी इंसेफेलाइटिस जैसे संक्रामक रोगों का शिकार लोगों को बना रहे हैं। डॉ. दीपक कुमार के अनुसार यदि मच्छरों पर नियंत्रण नहीं किया गया तो लोगों को बीमार होने से नहीं बचाया जा सकता। 

कारगर साबित नहीं हुई पांच मिनी फागिंग मशीन 

मच्छरों पर नियंत्रण के लिए निगम द्वारा अप्रैल 2016 में तीस लाख खर्च कर पांच आधुनिक मशीन की खरीद की थी। स्टाक में इंट्री के बाद उनमें से दो लौटा दी गई। मशीनों को ढोने के लिए तीन ई-रिक्शा की खरीदारी हुई। एक साल तक मशीन बहलखाना की शोभा बढ़ाती रही। जब मशीन को सड़क पर उतरा गया तो वह मच्छरों के मारने में कारगर साबित नहीं हुई और वह कबाड़ बनकर रह गई। बाद में पांच मिनी मशीन की खरीद गई जिसकी मदद से यदा-कदा अभियान चलाया जाता है लेकिन मशीन कारगर साबित नहीं हो रही है।  

 इलाज व वैकल्पिक उपायों पर कट रही जनता की जेब 

मच्छरों के काटने से शहरवासी कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। कई  जान तक गंवा रहे हैं। बीमार होने पर इलाज के लिए लोगों को बड़ी राशि खर्च करनी पड़ती है। मच्छरों से बचने की वैकल्पिक व्यवस्था पर भी जेब ढीली करनी पड़ती है। 

गरीब स्थान रोड के निवासी शेखर कुमार ने कहा कि मच्छरों ने शहरवासियों का जीना मुहाल कर दिया है। निगम को इसकी परवाह नहीं। निगम को राजनीति एवं पैसे की लूट से समय मिले तब तो उसे जनता की पीड़ा दिखाई पड़ेगी। 

पंखा टोली की ज्योति कुमारी का कहना है कि मच्छर मारने के नाम पर निगम मशीनों की खरीद कर सिर्फ पैसे की बर्बादी करता है। बगैर उपयोग मशीनों को कबाड़ बना दिया जाता। इस समस्या को लेकर निगम कभी गंभीर नहीं हुआ। 

 वहीं, महापौर सुरेश कुमार ने कहा कि मच्छरों का प्रकोप इनदिनों काफी बढ़ गया है। फॉगिंग कराई जा रही लेकिन कारगर साबित नहीं हो रही। अब तक किया गया प्रयास नाकाफी रहा है। इस पर आगे सक्रियता से काम किया जाएगा। 


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