बिहार में पहले भी हो चुका आश्रय गृह दुष्कर्म कांड, पांच वर्षों में भी नहीं मिला न्याय
बिहार में इन दिनों मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड की गूंज है। लेकिन मुजफ्फरपुर में ही पहले भी ऐसा ही एक और कांड हो चुका है। जानिए मामला, इस खबर में।
मुजफ्फरपुर [जेएनएन]। बालिका गृह में लड़कियों से यौन हिंसा की गूंज लोकसभा से लेकर विधानसभा तक सुनाई दी तो मामले की जांच सीबीआइ को दे दी गई। पीडि़त लड़कियों को न्याय मिलने की उम्मीद जग गई। मगर, मुजफ्फरपुर के लिए यह पहला मामला नहीं है। करीब पांच वर्ष पूर्व गोबरसही स्थित उत्तर रक्षा गृह में भी लड़कियों के साथ दुष्कर्म हुआ था। गर्भपात भी कराए थे। मगर, इतने दिनों बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिला है। उनकी चीख फाइलों में दब गईं हैं।
तत्कालीन सहायक निदेशक शैलेंद्रनाथ त्रिपाठी ने उत्तर रक्षा गृह की जांच कर मामले को सामने लाया था। जांच में पता चला था कि चाइल्ड लाइन, दरभंगा से कुछ लड़कियों को मुजफ्फरपुर उत्तर रक्षा गृह में भेजा गया था। यहां उनके साथ दुष्कर्म हुआ था। बाद में गर्भपात करा दिया गया।
जांच-पड़ताल और लड़कियों से पूछताछ के क्रम में वहां आने-जानेवाले लड़कों की फोटो से पहचान की गई। मामले में महिला थाने में 14 नवंबर 2013 को कांड दर्ज किया गया। इसके बाद कई बार वरीय अधिकारियों का दौरा हुआ। लेकिन, कार्रवाई किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची। इन पांच वर्षों में नियुक्त किए गए आइओ ने भी कोई जांच रिपोर्ट पूरी नहीं की। फाइलें कहां गईं, किसी को पता नहीं।
लड़कियों के बयान की हुई थी वीडियो रिकॉर्डिंग
घटना सामने आने के बाद तत्कालीन कमजोर वर्ग के आइजी अरविंद पांडेय ने संज्ञान लिया था। छानबीन शुरू हुई। राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विद्यानंद विकल ने गहनता से जांच की। उनके निर्देश पर लड़कियों के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग भी हुई थी। इसके बाद लगा कि पीडि़त लड़कियों को न्याय मिलेगा। लेकिन, समय के साथ मोटी-मोटी फाइलों में बच्चियों की चीखें दबती गईं।
एसएसपी ने कही ये बात
बालिका गृह कांड की गूंज के कारण यह मामला फिर चर्चा में आया है। इस बाबत एसएसपी हरप्रीत कौर ने कहा कि लड़कियों के उत्पीडऩ मामले की समीक्षा के लिए नगर डीएसपी को आदेश दिया गया है। इस मामले में जो भी दोषी होंगे उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। कोई भी अपराधी बच नहीं पाएगा। उन्होंने अपने स्तर से इस मामले की समीक्षा का आश्वासन दिया।