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मुजफ्फरपुर समेत पूरे उत्तर बिहार में जलजमाव व अधिक नमी के चलते खाली रह गए खेत

मुजफ्फरपुर में करीब 45 हजार हेक्टेयर में जलजमाव के चलते खेती नहीं हो सकी है। इससे करीब एक लाख 40 हजार किसान प्रभावित हैं। प्रभावित किसान अब गरमा मूंग तिल हरा चारा की खेती की तैयारी कर रहे हैं।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 09:50 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 09:50 AM (IST)
मुजफ्फरपुर समेत पूरे उत्तर बिहार में जलजमाव व अधिक नमी के चलते खाली रह गए खेत
मुजफ्फरपुर में सर्वाधिक 45 हजार हेक्टेयर रकबे में नहीं हो सकी खेती। फाइल फोटो

मुजफ्फरपुर, जाटी। उत्तर बिहार में मौसम की मार से रबी फसलों पर असर पड़ता तय है। हाल यह है कि कई जिलों में बाढ़-बारिश के कारण जलजमाव व अधिक नमी से 30 प्रतिशत बोआई नहीं हो सकी है। खेत खाली रह जाने से किसान परेशान हैं। मुजफ्फरपुर में करीब 45 हजार हेक्टेयर में जलजमाव के चलते खेती नहीं हो सकी है। इससे करीब एक लाख 40 हजार किसान प्रभावित हैं। इस तरह की स्थिति कटरा और औराई के अलावा कुछ अन्य प्रखंडों में है। प्रभावित किसान अब गरमा मूंग, तिल, हरा चारा की खेती की तैयारी कर रहे हैं। कृषि विभाग भी मदद के लिए सामने आया है। 

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मिथिलांचल में गरमा मूंग, साग-सब्जी की खेती की तैयारी

दरभंगा में भी कुछ ऐसा ही हाल है। यहां 53 हजार 391 हेक्टेयर में अभी तक बोआई नहीं हो सकी है। यहां के बाढ़ प्रभावित कुशेश्वरस्थान और कुशेश्वरस्थान पूर्वी में यह स्थिति ज्यादा है। जिले में 84 हजार 500 हेक्टेयर में गेहूं की बोआई का लक्ष्य था। अभी तक 43 हजार 378 हेक्टेयर में ही खेती हो सकी है। मक्के की स्थिति तो और भी खराब है। 10 हजार 222 हेक्टेयर की जगह 176 हेक्टेयर में ही बोआई हुई है।

मधुबनी में करीब 1052 हेक्टेयर में खेती नहीं हो सकी है। छोटे-बड़े लगभग 2200 किसान प्रभावित हुए हैं। यहां के बेनीपट्टी, बिस्फी, मधवापुर, मधेपुर प्रखंंडों में इस तरह की स्थिति ज्यादा है। संकोर्थू के शिव कुमार मंडल और बि_ो के सुनील कुमार का कहना है कि गरमा मूंग सहित साग-सब्जी की खेती करने की तैयारी कर रहे हैं। कई किसान खाली पड़े खेत में मवेशी के लिए चारा उपजा रहे हैं। समस्तीपुर में किसानों की मानें तो करीब पांच हजार एकड़ खेत जलजमाव और नमी से प्रभावित है।

आगे बढ़ा बोआई लक्ष्य का समय

शिवहर में खेतों में नमी रहने के कारण 10 नवंबर की जगह 15 दिसंबर तक बोआई का लक्ष्य हासिल हो पाया। पश्चिम चंपारण के जिला सहायक कृषि पदाधिकारी रवि शर्मा का कहना है कि नमी और जलजमाव से जिले में रबी फसलों की बोआई प्रभावित नहीं हुई है। 72 हजार 110 हेक्टेयर में गेहूं, 11 हजार 425 हेक्टेयर दलहन और 14 हजार 210 हेक्टेयर में तिलहन फसलों की खेती हुई है। मोतिहारी में 11 हजार 979 हेक्टेयर में बोआई नहीं हो पाई है। इससे लगभग 1100 किसान प्रभावित हुए हैं। घोड़ासहन के किसान मोहन प्रसाद व जवाहर कुशवाहा ने बताया कि जैसे-तैसे सब्जी की खेती कर नुकसान की भरपाई में जुटे हैं।

बारिश के अनुमान से किसान सहमे 

शिवहर के कृषि सलाहकार संजय कुमार के अनुसार तत्काल रबी फसलों के लिए मौसम अनुकूल है, लेकिन मौसम विभाग ने 12 जनवरी तक बारिश और ओलावृष्टि की संभावना व्यक्त की है। अगर बारिश होती है तो गेहूं, दलहन और तिलहन फसलों को काफी नुकसान हो सकता है। ओलावृष्टि से नुकसान का दायरा और अधिक बढ़ सकता है। इसका असर आलू पर भी पड़ सकता है। बारिश की स्थिति में फसलों को बचाव के लिए किसानों को खेतों में पहले से ही जलनिकासी की व्यवस्था कर लेनी चाहिए।

विभाग इस तरह कर रहा मदद

तिरहुत प्रमंडल के संयुक्त कृषि निदेशक रामप्रकाश सहनी बताते हैं कि जिन खेतों में फसल नहीं लगी, वहां के किसानों को सहायता दी जा रही है। खाली खेतों में गरमा फसल के लिए बीज देने का प्रविधान है। ऐसे किसानों को चिह्नित किया जा रहा है। उन्हें निशुल्क बीज दिया जाएगा। 


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