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Lockdown: बच्चों के मनोभाव को गंभीरता से समझे, खुद को थोड़ा बदलें और बच्चों को भरने दें परवाज

कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका व लॉकडाउन बच्चों पर डाल रहा मनोवैज्ञानिक असर। पैरेंटिंग फॉर लाइफ लॉन्ग हेल्थ द यूरोपियन रिसर्च काउंसिल यूनिसेफ जैसे संगठनों ने जारी किए सुझाव।

By Murari KumarEdited By: Published: Sat, 04 Apr 2020 04:36 PM (IST)Updated: Sat, 04 Apr 2020 04:36 PM (IST)
Lockdown: बच्चों के मनोभाव को गंभीरता से समझे, खुद को थोड़ा बदलें और बच्चों को भरने दें परवाज
Lockdown: बच्चों के मनोभाव को गंभीरता से समझे, खुद को थोड़ा बदलें और बच्चों को भरने दें परवाज

समस्तीपुर, अजय पांडेय। लॉकडाउन में नन्हे-मुन्ने घरों में लॉक। बड़ों ने तो वक्त की नजाकत को समझ अपनी दिनचर्या बदल ली, लेकिन 12 साल तक के बच्चों के स्वभाव में चिड़चिड़ापन और आवेश देखा जा रहा। इसे लेकर दुनियाभर के बाल मनोवैज्ञानिक चिंतित हैं। निष्कर्ष में यह बात सामने आई कि बच्चों के मनोभाव को अभिभावक गंभीरता से समङों। ये क्या चाहते? यानी कि माता-पिता अधिक से अधिक उन्हें स्वतंत्र छोड़ें। इससे इनका मानसिक विकास होगा।

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रिसर्च में ये बातें आई सामने

 दरअसल, पैरेंटिंग फॉर लाइफ लॉन्ग हेल्थ, द यूरोपियन रिसर्च काउंसिल, यूनिसेफ, सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन, द लीवरहुलम ट्रस्ट, द इकोनॉमिक एंड सोशल रिसर्च काउंसिल, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड, यूनिसेफ एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी कई संस्थाओं ने अलग-अलग देशों में लॉकडाउन की अवधि में बच्चों और किशोरों पर रिसर्च किया है। उनका कहना है कि इस अवधि में बच्चों के व्यवहार में काफी बदलाव आया है। मानसिक तनाव पैदा हो रहा। काफी संख्या में अभिभावक आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों से जूझ रहे। इसका असर घरेलू माहौल पर भी पड़ रहा। 

बच्चों के साथ समय बिताने का वक्त करें निर्धारित

माता-पिता घर के हर बच्चे के साथ समय बिताने के लिए अलग-अलग समय तय करें। ताकि, बच्चों को उस पल का इंतजार रहे। इससे उनका दिमाग केंद्रित होगा। बच्चों से पूछें कि घर में रहकर ये क्या करना चाहते? उन्हें कुछ अपने मन की करने दें। चाइल्ड एक्सपर्ट एडवर्ड कहते हैं कि अभिभावक गाना गाएं, चम्मच एवं बर्तनों से संगीत बनाएं, बच्चों के चेहरे के भाव और आवाज को दोहराएं। कप या ब्लॉक को एक के ऊपर दूसरे को रखें, किताब पढ़कर या चित्र दिखाकर कहानी जोड़ें। स्कूल के काम में बच्चों की मदद करें।

किशोर-किशोरियों के लिए जारी किए गए सुझाव

बच्चों की मनोस्थिति इस दौर को नहीं समझ पा रही। स्कूल बंद, घूमने-फिरने पर पाबंदी। अचानक घर बैठना मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल रहा। ऐसे में उनकी पसंदीदा चीजों जैसे खेल, टीवी शो एवं उनके दोस्तों के बारे में अभिभावक बात करें। व्यायाम और हॉबी के बारे में पूछें। उनकी बातें सुनें, उनकी तरफ देखें, उनपर अपना पूरा ध्यान दें। कोरोना संक्रमण की बातें सुनकर बच्चे डर सकते। इसलिए उनके सामने ऐसी चर्चा न करें। उनकी प्रशंसा करें। गुस्से पर नियंत्रण रखें।

बच्चों को उम्र के अनुसार घरेलू एक्टिविटी से जोड़ें

 डॉ. भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. मृदुला श्रीवास्तव  ने कहा कि इस दौर में बच्चों को उम्र के अनुसार घरेलू एक्टिविटी से जोड़ें। खेल-खेल में ज्ञान बढ़ाएं। दैनिक कामकाज को भी मनोरंजक तरीके से करें। अभिभावक बच्चों को निश्चित समय दें। माहौल को सकारात्मक रखें।


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