मुजफ्फरपुर में आपदा की भेंट चढ़ गई खेती और राजनेता काटते रहे राजनीति की फसल
उत्तर बिहार में प्राकृतिक आपदा के साथ जंगली जानवरों के आतंक से फसल नहीं पहुंच पाती घर।हर चुनाव में इसे मुद्दा बनाया तो जाता मगर अगले चुनाव तक नहीं याद आता यह वादा। बाढ़ राहत राशि वितरण में कई तरह की अनियमितता बरतने के लग रहे आरोप।
मुजफ्फरपुर, [ प्रेम शंकर मिश्रा]। कृषि में अच्छे दिनों के दावों के बीच उत्तर बिहार के किसानों का दर्द फिर उभर आया है। पीड़ा यह कि मेहनत व लागत के बाद भी घरों तक फसल नहीं पहुंच पाती। प्राकृतिक आपदा के साथ जंगली जानवरों के आतंक ने खुशहाली छीन ली है। इस बार भी बाढ़ ने भारी तबाही मचाई। लाखों हेक्टेयर में लगी खरीफ की फसल बर्बाद हो गई। मुजफ्फरपुर की स्थिति तो यह रही कि 16 में से 15 प्रखंड बाढ़ से प्रभावित रहे। पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण व सीतामढ़ी की भी कमोबेश यही स्थिति रही। कोरोना के बीच किसानों के लिए यह दर्द काफी कष्टकारी है। क्योंकि, रबी की फसल पर भी जंगली जानवरों का प्रकोप रहा। तंग आकर हजारों किसानों ने खेती छोड़ दी। किसानों की पीड़ा को दूर करने के लिए कई वादे किए गए। मगर, इस बड़ी समस्या का निदान नहीं निकल सका। एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर हर चुनाव में पक्ष व विपक्ष राजनीति की 'फसलÓ ही काटते रहे।
वरदान की जगह अभिशाप बनती जा रहीं नदियां
तिरहुत प्रमंडल के जिलों में छोटी-बड़ी दर्जनभर नदियां बहती हैं। इनमें से गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, लखनदेई, मनुषमारा, कदाने प्रमुख हैं। सिंचाई के लिए बने गंडक बराज से छोड़े गए पानी से पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण व मुजफ्फरपुर का पश्चिमी दियारा क्षेत्र जलप्लावित हो जाता है। तिरहुत मुख्य नहर से भी बरसात के दिनों में बाढ़ आ जाती है। बागमती परियोजना के पूरा नहीं होने से मुजफ्फरपुर के गायघाट, औराई व कटरा में खरीफ की फसल करीब-करीब बर्बाद हो जाती है। मगर, इसपर वर्षों से ध्यान नहीं दिया जा रहा। अब बात करते हैं जंगली जानवरों के आतंक का। मुजफ्फरपुर व आसपास के जिले के हजारों किसान ने खेती इसलिए छोड़ दी कि घोड़परास व जंगली सूअर इसे बर्बाद कर देते हैं। जदयू-राजद सरकार में कृषि मंत्री रहे रामविचार राय के क्षेत्र के किसान बैद्यनाथ राय कहते हैं कि करीब 25 बीघे की खेती छोड़ दी। पूरे दियारा क्षेत्र में लोग खेती से कतराते हैं। समस्या को जनप्रतिनिधि गंभीरता से नहीं लेते।
इस वर्ष बाढ़ से फसल को नुकसान
मुजफ्फरपुर जिले में एक लाख आठ हजार 532, पूर्वी चंपारण में 98 हजार, पश्चिमी चंपारण में 47 हजार 806, सीतामढ़ी में 85.29 हजार व शिवहर में 12.50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में लगी फसल की क्षति हुई है।