पशुपालन, गव्य, कृषि और मत्स्य योजना का किसानों को मिलेगा ऑनलाइन लाभ
कार्यालयों का चक्कर लगाकर फॉर्म भरने से किसानों को मिलेगी निजात ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू। योजना के तहत फॉर्म भरने से लेकर सभी कार्यों की होगी ऑनलाइन मॉनीटरिंग।
समस्तीपुर, जेएनएन। अब पशुपालन, गव्य, कृषि और मत्स्य विभाग की सरकारी योजनाओं का लाभ पाने के लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसको लेकर विभाग ने एक वेबसाइट लांच किया है। जिले के किसान बिहार सरकार की वेबसाइट एनआईसी डॉट इन पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। वेबसाइट को 1 अप्रैल 2019 से ही शुरू कर दिया गया है। ऑनलाइन आवेदन के समय वेबसाइट पर किसानों को पावती रसीद भी उपलब्ध होगी, जिसका वे प्रिंट निकाल सकेंगे।
रसीद पर योजना के तहत आवेदन भरने की जानकारी भी रहेगी। यही नहीं किसी भी योजना में किसानों के ऑनलाइन आवेदन करने पर राज्य मुख्यालय से लेकर जिला स्तर पर इसकी मॉनीटङ्क्षरग भी की जाएगी। इसके अलावा अगर कोई किसान कार्यालय में पहुंचकर आवेदन करना चाह रहा है तो कर्मियों के सहयोग में ऑनलाइन आवेदन करने की सुविधा प्रदान की जाएगी।
इन योजनाओं के लिए होंगे ऑनलाइन आवेदन
पशुपालन विभाग से संचालित विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने के लिए संचालित गव्य, मुर्गी, बकरी पालन करने, गव्य विभाग की डेयरी फॉर्म, दुग्ध शीतक केंद्र खोलने, दूध से खोवा की सामग्री बनाने जैसी योजनाएं शामिल है। इनके अलावा मत्स्य विभाग के नया तालाब निर्माण, बीज वितरण, पुराने तालाब के जीर्णोद्धार के अलावा आद्र जल क्षेत्र में तालाब निर्माण करने के लिए ऑनलाइन आवेदन स्वीकृत किए जाएंगे।
फॉर्म भरने के लिए कार्यालय जाने से मुक्ति
अभी तक किसान पशुपालन, गव्य और मत्स्य विभाग की संचालित योजनाओं का लाभ लेने के लिए अलग-अलग कार्यालयों का चक्कर लगाते थे। फॉर्म भरने के बाद भी त्रुटि रहने पर कई किसानों का आवेदन रद हो जाता था। जिससे कई किसान योजना का लाभ पाने से वंचित रह जाते थे। अब ऑनलाइन फॉर्म भरने से कार्यालय जाने से मुक्ति तो मिलेगी ही उनके फॉर्म भी रद नहीं होंगे। अगर किसी कारणवश फॉर्म रद भी होते है तो उसका कारण विभाग के अधिकारियों को बताया होगा।
इस बारे में समस्तीपुर पशुपालन विभाग चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. संजय कुमार ने कहा कि पशुपालन विभाग में किसी भी योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसको लेकर विभागीय स्तर पर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इससे किसानों को भी कार्य के दौरान राहत मिलेगी।
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