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West Champaran: महिला उत्पीडऩ और अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण के दर्ज हो रहे झूठे केस

वर्ष 2019 में दर्ज कई मामले पुलिस की जांच में पाए गए असत्य आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना से हुआ पर्दाफाश सूचना के अधिकार के तहत चंपारण प्रक्षेत्र के डीआईजी से बेतिया व बगहा पुलिस जिला में इस संबंध में मांगी गई सूचना से इसका पर्दाफाश हुआ है।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 03:45 PM (IST)Updated: Wed, 21 Apr 2021 03:45 PM (IST)
West Champaran: महिला उत्पीडऩ और अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण के दर्ज हो रहे झूठे केस
आरटीआई से मांगी गई जानकारी से हुआ झूठे केस का पर्दाफाश । प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

बेतिया, [मनोज मिश्र ]। महिला उत्पीडऩ तथा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम का जिले में दुरुपयोग हो रहा है। इस अधिनियम के तहत लोग झूठे मुकदमे दर्ज कर रहे हैं। लोगों को परेशान करने के लिए कुछ लोग इसका हथियार की तरह उपयोग कर रहे हैं। सूचना के अधिकार के तहत चंपारण प्रक्षेत्र के डीआईजी ललन मोहन प्रसाद से बेतिया व बगहा पुलिस जिला में इस संबंध में माई गई सूचना से इसका पर्दाफाश हुआ है। वर्ष 2019 में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के 20 मामले पुलिस की जांच में गलत पाए गए हैं। जबकि इसी वर्ष महिला उत्पीडऩ के 21 मामले को जांच में पुलिस ने असत्य करार दिया है। 

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वर्ष 19 में महिला उत्पीडऩ के 218 मामले दर्ज

आरटीआई के तहत अपराध प्रवाचन पुलिस कार्यालय बेतिया से प्राप्त सूचना के अनुसार वर्ष 2019 में महिला उत्पीडऩ के 218 मामले दर्ज हुए थे। पुलिस की जांच में इसमें से 21 मामले असत्य पाए गए। राहत की बात है कि वर्ष 2020 में दर्ज 159 मामलों में से अब तक पुलिस ने किसी मामले को असत्य करार नहीं किया है। जबकि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत वर्ष 2019 में 155 मामले दर्ज हुए जिनमें से 20 मामले को पुलिस ने झूठा करार दिया है। हालांकि वर्ष 2020 में दर्ज 163 मामलों में से अभी तक पुलिस सिर्फ एक मामला गलत पाई है। 

झूठे मामले से लोग परेशान

महिला उत्पीडऩ एवं एससीएसटी एक्ट

के झूठे मामले से कई लोग परेशान हैं। एससी एसटी एक्ट का मुकदमा झेल रहे जितेंद्र तिवारी ने बताया कि जब वे दिल्ली में थे तो इस एक्ट के तहत नरकटियागंज में झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया गया। हालांकि पुलिस जांच में केस गलत पाई थी। बावजूद कोर्ट में मुकदमा चल रहा है। इस झूठे केस के कारण पिछले कई वर्ष से मानसिक रूप से काफी तनाव में है। महिला अत्याचार अधिनियम के तहत झूठे केस झेल रहे लोगों की लंबी फेहरिस्त है। 

-पुलिस के पास शिकायत आने पर मामला दर्ज किया जाता है। पुलिस किसी को बचाने या फंसाने का काम नहीं करती। नियम संगत तरीके से मामले की जांच होती है। -ललन मोहन प्रसाद, डीआईजी, चंपारण प्रक्षेत्र, बेतिया। 


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