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Muzaffarpur News: बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्री अब पंजाब में भी पकड़ी गई, जान‍िए पूरा खेल

Muzaffarpur News मार्च में ही विवि की ओर से भेजी गई थी डिग्री के फर्जी होने की रिपोर्ट सत्यापन के लिए पहुंची थी पुलिस 25 को कोर्ट में आनलाइन हाजिरी देंगे परीक्षा नियंत्रक। पंजाब से जांच पड़ताल को पहुंची पुल‍िस।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 23 Nov 2021 09:33 AM (IST)Updated: Tue, 23 Nov 2021 10:23 AM (IST)
Muzaffarpur News: बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्री अब पंजाब में भी पकड़ी गई, जान‍िए पूरा खेल
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्री की हो रही जांच। जागरण

मुजफ्फरपुर, {अंकित कुमार}। राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ के बाद अब पंजाब में बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्री पकड़ी गई है। इसकी जांच के लिए सोमवार को विश्वविद्यालय में पंजाब के गुरदासपुर की पुलिस पहुंची थी। पुलिस ने परीक्षा विभाग के कर्मचारियों से डिग्री के संबंध में पूछताछ की। इसके बाद परीक्षा नियंत्रक से भी मुलाकात कर असलियत की पड़ताल की। जानकारी के अनुसार, जिले के ही अभिजीत ने बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के लंगट स‍िंंह महाविद्यालय से 2006 में वोकेशनल कोर्स में उत्तीर्ण होने की डिग्री पंजाब में रोजगार के समय प्रस्तुत की। संबंधित विभाग में संदेह होने पर डिग्री को सत्यापन के लिए मार्च में विश्वविद्यालय को भेजा गया था। यहां टीआर व अन्य दस्तावेजों से मिलान करने पर पाया गया कि वह डिग्री फर्जी है। इसकी रिपोर्ट पंजाब पुलिस को भेज दी गई। इसके बाद संबंधित अभ्यर्थी पर पंजाब के गुरदासपुर में प्राथमिकी दर्ज हुई। बता दें कि पंजाब पुलिस के पहुंचते ही विवि के गलियारे में हलचल तेज हो गई। दिनभर विवि में इसकी चर्चा होती रही।

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परीक्षा नियंत्रक के बयान पर आगे होगी कार्रवाई

पुलिस ने परीक्षा नियंत्रक को बताया कि 25 नवंबर को दोपहर तीन बजे कोर्ट में वीडियो कान्फ्रेंङ्क्षसग के माध्यम से डिग्री के संबंध में जानकारी देनी है। कोर्ट परीक्षा नियंत्रक के बयान के आधार पर अभ्यर्थी के विरुद्ध आगे की कार्रवाई करेगी।

विवि के नाम पर तीन महीने में पकड़ी गईं दर्जनभर डिग्रियां 

बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के नाम पर अगस्त से लेकर अबतक तीन महीने में देशभर में दर्जनभर से अधिक फर्जी डिग्री पकड़ी गई है। अगस्त में छत्तीसगढ़ में विवि के नाम से जारी आयुर्वेद की 10 डिग्री पकड़ी गई थी। पकड़े गए अभ्यर्थी वहां इसी डिग्री के सहारे चिकित्सक बने बैठे थे। उन्होंने बताया था कि 10 से 15 लाख में डिग्री खरीदी थी। इसमें बीआरए बिहार विवि के कर्मचारियों की मिलीभगत की भी बात पकड़े गए अभ्यर्थी ने स्वीकारी थी। हालांकि नाम का पर्दाफाश नहीं किया था। बताया था कि यहीं के कर्मचारियों की मदद से बिचौलिए डिग्री का फार्मेट और पेपर उपलब्ध कराते हैं। इसके लिए उन्हें मोटी रकम दी जाती है।

- अभिजीत की डिग्री के संबंध में मार्च में जानकारी मांगी गई थी। टीआर से मिलान करने पर पाया गया कि डिग्री बिहार विवि की ओर से जारी नहीं है। इसकी जानकारी दे दी गई थी। उसके सत्यापन के लिए पंजाब पुलिस पहुंची थी। यह सामान्य प्रक्रिया है। विवि की डिग्री के आधार पर सरकारी या गैरसरकारी नौकरी के समय कंपनी या फर्म उसके सत्यापन के लिए यहां भेजती है। विवि से उसकी जांच कर रिपोर्ट भेजी जाती है।- संजय कुमार, परीक्षा नियंत्रक, बीआरएबीयू, मुजफ्फरपुर।


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