CM Nitish Kumar की पार्टी मे गुटबाजी सतह पर, मुजफ्फरपुर जिलाध्यक्ष को अपने ही नेताओं ने किया नाक में दम
तीन खेमों में बंटे दल के नेता और कार्यकर्ता। छोटे-छोटे कार्यक्रम कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते ये छपास नेता जिलाध्यक्ष मनाेज कुमार को कर देते इससे बाहर। पार्टी के पुराने ‘खिलाड़ियों’ ने उनकी राह मुश्किल कर दी है।
मुजफ्फरपुर, [ प्रेम शंकर मिश्रा]। कहते हैं दाव-पेंच नहीं आई तो राजनीति के अखाड़े में चल पाना मुश्किल होता है। कुछ यही हो रहा है जदयू के जिलाध्यक्ष मनाेज कुमार के साथ। किसान से नेता बने मनोज कुमार राजनीति की दाव-पेंच की उतनी समझ नहीं। उनका सीधापन ही उनपर भारी पड़ने लगा है। पार्टी के पुराने ‘खिलाड़ियों’ ने उनकी राह मुश्किल कर दी है। जिलाध्यक्ष की अहमियत को कम कर वे अपनी बढ़ाने में लगे हैं। इससे मनोज कुमार परेशान हो गए हैं। पिछले दिनों उन्होंने अपना दर्द पत्र के माध्यम से मीडिया में जाहिर किया। उनका दर्द यह छलका कि पार्टी के कुछ नेता और कार्यकर्ता बिना इजाजत बयान जारी कर देते हैं। कार्यक्रमों का आयोजन कर देते हैं। इसके बाद इसका मीडिया में प्रचार भी करते हैं। जिलाध्यक्ष का दुख यह है कि इसमें उनका नाम तक नहीं जोड़ते।
दरअसल मनोज कुमार का जदयू जिलाध्यक्ष बनना पार्टी के कुछ पुराने नेताओं को पच नहीं पा रहा। विधानसभा चुनाव में मीनापुर से टिकट मिलने पर भी विवाद हो चुका था। वहीं गुटबाजी के कारण उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा, मगर पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने उनपर भरोसा कायम रखा। उन्हें जिलाध्यक्ष बना दिया। इस पद की आशा पाले पार्टी के कुछ नेताओं को यह मंजूर नहीं रहा। खुलकर विरोध करना मुश्किल लगा तो ‘कोल्ड वार’ शुरू कर दिया। माना जा रहा है कि पार्टी में अभी तीन गुट काम कर रहा है। एक गुट का मनोज कुमार को समर्थन है। वहीं दो गुट इस ‘कोल्ड वार’ में शामिल हैं। इसमें एक पूर्व जिलाध्यक्ष के समर्थक माने जा रहे। इसके अलावा एक गुट की कमान पार्टी का एक विंग संभालने वाले प्रदेश स्तर के नेता के पास है। ये दो गुट अभी अधिक भारी पड़ रहे हैं। इसलिए जिलाध्यक्ष की परेशानी बढ़ती जा रही है। संभव है उनके स्तर से यह विवाद समाप्त नहीं हो सकेगा। इसलिए आज नहीं तो कल पटना में इसकी पंचायती करानी ही पड़ेगी।