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पूर्वी चंपारण में बाढ़ और बरसात से परेशान किसानों को अब धान की नहीं मिल रही उचित कीमत, हालत खराब

सरकारी स्तर पर धान की खरीद के लिए पैक्सों में अभी निबंधन का ही काम शुरू हो पाया है जबकि पिछले वर्ष धान का समर्थन मूल्य 1800 रुपये था। धान मंडी के अनुसार इस बार नए किसान बिल के विरोध में हरियाणा के किसान हड़ताल पर हैं।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 17 Nov 2020 03:43 PM (IST)Updated: Tue, 17 Nov 2020 03:43 PM (IST)
पूर्वी चंपारण में बाढ़ और बरसात से परेशान किसानों को अब धान की नहीं मिल रही उचित कीमत, हालत खराब
धान को यूनियन के लोग रास्ते में ही रोक दे रहे हैं।

पूर्वी चंपारण, जेएनएन। धान का कटोरा कहा जाने वाला चंपारण किसान इन दिनों बाजार में धान की कीमत को लेकर परेशान है। बाढ़-बरसात से बची धान की फसल का भाव बाजार में 1050 से 1150 रुपये तक सिमट गई है। इससे किसान ओने पौने कीमत पर अपना धान बेचने को विवश हो रहे हैं। आलम यह है कि किसानों को रबी की बुवाई व महाजन के बकाया तक चुकाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

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 सरकारी स्तर पर धान की खरीद के लिए पैक्सों में अभी निबंधन का ही काम शुरू हो पाया है जबकि पिछले वर्ष धान का समर्थन मूल्य 1800 रुपये था। धान मंडी के अनुसार इस बार नए किसान बिल के विरोध में हरियाणा के किसान हड़ताल पर हैं। बिहार से जाने वाली धान को यूनियन के लोग रास्ते में ही रोक दे रहे हैं। इसके कारण स्थानीय स्तर पर छोटे-छोटे बिचौलिया मनमानी कीमत पर धान की खरीदारी कर रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सरकारी स्तर पर धान की खरीदारी नहीं हो सकी है। नई सरकार को लेकर व्यापारियों में अभी अस्थिरता का भाव है, जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। सहकारिता विभाग के अनुसार धान बिक्री को लेकर निबंधन शुरू हो चुका है। 25 नवंबर तक धान की खरीदारी शुरू की जाएगी। चुनाव के कारण धान खरीदारी में विलंब हुआ है। अभी धान की फसल के संदर्भ में तो किसानों की हड़ताल की वजह से परेशान होने की बात कही जा रही है। लेकिन, गेहूं समेत अन्य फसलों के मामले में भी यही देखा जा रहा है। किसानों को उचित कीमत नहीं मिलने की हालत में उन्हें बिचौलियों या फिर स्थानीय व्यापारी के हाथों अपेक्षाकृत कम कीमत पर अपने उत्पाद को बेचना पड़ता है। इसकी वजह से किसानों की हालत में कभी सुधार नहीं देखने को मिल रहा है। तमाम प्रयासों के बाद भी वे जहां थे वहीं हैं। इस दिशा में विभाग के स्तर से प्रयास किया जाना चाहिए। 


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