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नए जनप्रतिनिधियों से उम्मीद, विकास फाइलों से निकल कर सड़कों पर भी दिखाई दे, जर्जर सड़कों की वजह से रोज हो रहे हादसे

दैनिक जागरण की चुनावी चौपाल में शामिल हुए शहरवासी रखीं अपनी बातें। कहा तय समय में हो सड़कों का निर्माण गुणवत्ता पर दिया जाए ध्यान। मेंटेनेंस के लिए भी तय हो जिम्मेदारी। नहीं करने वाली एजेंसी पर हो सख्त कार्रवाई।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 09:26 AM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2020 01:05 PM (IST)
नए जनप्रतिनिधियों से उम्मीद, विकास फाइलों से निकल कर सड़कों पर भी दिखाई दे, जर्जर सड़कों की वजह से रोज हो रहे हादसे
शहर की सड़कों का निर्माण करने वाली एजेंसी लापरवाह है।

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। गली-मोहल्ले की सड़कों का निर्माण हुआ है। लेकिन, शहर में अधिकतर मुख्य सड़कें जर्जर हैं। ऐसे में विकास की गाड़ी शहर की जर्जर सड़कों पर पलट जाती है। अधिकतर मुख्य सड़कों का निर्माण सरकारी मकडज़ाल में फंसा है। एक-एक सड़क निर्माण को आधा दर्जन बार टेंडर हो रहा है। इसके बाद भी बात नहीं बन रही। हर बार किसी न किसी तकनीकी कारण से टेंडर रद हो जाता है और सड़क की सूरत नहीं बदल पाती। लोग ऐसा जनप्रतिनिधि चाहते हैं जो सड़कों के निर्माण में आई बाधा दूर कर सके। सड़क निर्माण योजना को समय पर पूरा करा सके। यह बातें शनिवार को इस्लामपुर रोड में दैनिक जागरण की चुनावी चौपाल में शामिल लोगों ने कहीं।

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डॉ.शंकर कुमार गुप्ता ने कहा कि जवाहर लाल रोड, मोतीझील रोड, स्टेशन रोड, मिठनपुरा क्लब रोड समेत शहर की दर्जनभर मुख्य सड़कें सालों से जर्जर हैं। इससे लोगों का इन पर पैदल चलना भी मुश्किल है। इसलिए यह जरूरी है कि इन सड़कों का शीघ्र निर्माण हो। शासन-प्रशासन इसके लिए सजग हो।

पवन कुमार गुप्ता व मनोज कुमार ने कहा कि शहर की सड़कों का निर्माण करने वाली एजेंसी लापरवाह है। इससे राशि आवंटन के बाद भी सड़कों का निर्माण नहीं हो पाता। इसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है। योजना समय पर पूरी हो जनप्रतिनिधि इसे सुनिश्चित करें।

ललित झा व प्रवीण गुप्ता का कहना था कि सरकार से राशि मिलने के बाद भी साल-दो साल तक सड़कों का निर्माण नहीं हो पाता। निर्माण कार्य टेंडर की प्रक्रिया में फंसा रहता है। कभी संवेदक सामने नहीं आते तो कभी अधिकारियों की मनमानी बाधक बन जाती है। इस बाधा को दूर करने का काम जनप्रतिनिधि को करना होगा।

अब्दुल रहीम, अमानुल्लाह एवं चंदन गुप्ता का कहना था कि सड़क निर्माण के साथ उसकी गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा जाता। अधिकतर सड़कें बनने के साथ टूटने लगती हैं। संवेदकों व अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध कमाई के लिए घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है। निर्माण सामग्री के मिश्रण में भी चोरी की जाती है। जनप्रतिनिधि इस लूट को रोकें तो जनता को अच्छी सड़क पर चलने का अवसर मिलेगा।


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