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Exclusive: शाही लीची अब दक्षिण भारत में भी फलेगी, मिलेगा बिहार वाला स्‍वाद

शाही लीची की मिठास का स्वाद अब दक्षिण भारत के लोग भी आसानी से ले सकेंगे। इस बार सर्दियों में कर्नाटक केरल और तमिलनाडु में इसकी फसल तैयार होगी।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 04:44 PM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 10:23 PM (IST)
Exclusive: शाही लीची अब दक्षिण भारत में भी फलेगी, मिलेगा बिहार वाला स्‍वाद
Exclusive: शाही लीची अब दक्षिण भारत में भी फलेगी, मिलेगा बिहार वाला स्‍वाद

मुजफ्फरपुर, अजय रत्न। Shahi Litchi will now be produced in South India You will get a taste of Bihar: शाही लीची की मिठास का स्वाद अब दक्षिण भारत के लोग भी आसानी से ले सकेंगे। इस बार सर्दियों में कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में इसकी फसल तैयार होगी। इसकी तैयारी राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र द्वारा विगत सात सालों से चल रही थी, जो अब सफल हुई है। 

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दक्षिण में लीची के पैदावार पर शोध की शुरुआत 

वर्ष 2012-13 में राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र ने उक्त राज्यों में लीची बागवानी का प्रयोग शुरू किया था। केरल के वायनाड, इडूकी एवं कल्पेटा, कर्नाटक के कोडबू, चिकमंगलूर व हसन तथा तमिलनाडु के पलानी हिल्स व ऊंटी जिलों में लीची की बागवानी की शुरुआत हुई। इन जिलों के किसानों को लीची बागवानी की ट्रेनिंग दी गई। 

भेजे गए थे पौधे 

जानकारी के अनुसार मुजफ्फरपुर से केरल के तीनों जिलों में लीची के हजारों पौधे भेजे गए थे। इसमें केरल में 20 हजार, कर्नाटक में 20 हजार और तमिलनाडु में 12 हजार पौधे भेजे गए थे। 

सर्दी का मौसम पाया गया अनुकूल

जलवायु के कारण मुजफ्फरपुर सहित उत्तर बिहार में शाही लीची की पैदावार का मौसम मई-जून है। अनुसंधान केंद्र के रिसर्च में पाया गया कि दक्षिण के उक्त राज्यों में सर्दियों के मौसम में लीची की फसल अनुकूल पाई गई। 

किसानों को भरपूर फायदा 

जिले के किसानों द्वारा व्यापारियों को 35 से 40 रुपये किलो लीची बेची जाती है। वहीं, दक्षिण के इन राज्यों में फसल तैयार होने के बाद 300 से 350 रुपये सैकड़ा बिकने की उम्मीद है। 

खास बातें

  • 07 साल में राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र का प्रयोग रहा सफल 
  • 03 प्रदेशों के किसानों ने प्राप्त किया था लीची बागवानी का प्रशिक्षण
  • 40 ग्राम तक की एक लीची होने की संभावना, फल हो रहे तैयार

 कहते हैं अधिकारी

किसानों ने यहां से ट्रेनिंग लेकर अपने यहां लीची की नर्सरी तैयार कर बाग तैयार किया। उनकी मेहनत सराहनीय है। 

-डॉ. विशालनाथ, निदेशक राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुशहरी, मुजफ्फरपुर 


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