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पश्चिम चंपारण के खेतों में अत्यधिक कीटनाशकों का इस्तेमाल खतरनाक

कृषि वैज्ञानिक डॉ धीरू तिवारी ने बताया कि कीटनाशक के सीधा संपर्क में आने पर त्वचा संबंधी बीमारी होती है। हवा के माध्यम से शरीर में पहुंच फेफड़ा को नुकसान पहुंचाता है। इससे एलर्जी और कैंसर जैसी घातक बीमारी भी हो सकती है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 09:28 AM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 09:28 AM (IST)
पश्चिम चंपारण के खेतों में अत्यधिक कीटनाशकों का इस्तेमाल खतरनाक
मिट्टी के साथ स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है कीटनाशक। फोटो- जागरण

बेतिया, जासं। फसलों को कीड़े मकोड़ों से बचाने और अत्यधिक उपज के लिए जिले के अधिकतर किसान खेती में कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग कर रहे है। फल, साग-सब्जी और अनाजों के माध्यम से कीटनाशक रूपी मीठा जहर हमारे शरीर में प्रवेश कर रहा है। कीटनाशक के ज्यादा इस्तेमाल से भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो रही है तथा यह कीटनाशक जमीन में रिसकर भूजल को जहरीला बना रहा है। नदियों तालाबों तथा अन्य जलस्रोतों में बहकर वहां के पानी को जहरीला बनाता है। जिससे इंसानों के साथ-साथ पशु-पक्षियों और पर्यावरण को खासा नुकसान पहुंच रहा है। फसलों के अधिक उत्पादन के लिए खेतों में अधिक मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग फसल के लिए हानिकारक है। किसान जानकारी के अभाव में ज्यादा उत्पादन के लिए खतों में अधिक उर्वरक डालते हैं। जो फसल व खेतों को नुकसान पहुंचाता है। कृषि अनुसंधान केंद्र माधोपुर के कृषि वैज्ञानिक डॉ धीरू तिवारी ने बताया कि फसल उत्पादन के लिए कुछ पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। किसान खेतों में यूरिया, डीएपी और पोटाश का अधिक प्रयोग करते है। यूरिया का अधिक प्रयोग खेतों में मृदा पर विपरीत प्रयोग डालता है। डॉ तिवारी ने कहा कि अत्यधिक उर्वरक मिट्टी के संरचना और उसके कार्बनिक पदार्थ को नुकसान पहुंचाता है। कीटनाशकों का कुछ अंश फसल में रह जाती है, जो भोजन के माध्यम से हमारे शरीर में पहुंच शरीर को भी नुकसान पहुंचाता है।

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एलर्जी, कैंसर जैसी घातक बीमारी

कृषि वैज्ञानिक डॉ धीरू तिवारी ने बताया कि कीटनाशक के सीधा संपर्क में आने पर त्वचा संबंधी बीमारी होती है। हवा के माध्यम से शरीर में पहुंच फेफड़ा को नुकसान पहुंचाता है। इससे एलर्जी और कैंसर जैसी घातक बीमारी भी हो सकती है। कीटनाशक शरीर की इम्युनिटी सिस्टम, पाचन सिस्टम पर भी बुरा प्रभाव डालता है। खेतों में उर्वरक और कीटनाशकों के कम प्रयोग के लिए कृषि विभाग की ओर से समय-समय पर किसानों को प्रशिक्षित किया जाता है। समेकित रोग एवं कीट प्रबंधन, जैविक खेती को बढ़ावा के लिए भी कृषि विभाग प्रयास कर रहा है। किसान रविंद्र तिवारी, छोटे शुक्ल, किशोर सिंह ने बताया कि जागरूकता के अभाव में अधिकतर किसान अंधाधुंध उर्वरक और कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं कृषि विभाग को इस पर रोक के लिए सार्थक पहल करनी चाहिए।

कृषि अनुसंधान केंद्र माधोपुर के कृषि वैज्ञानिक डॉ. धीरू तिवारी ने कहा कि खेतों में रासायनिक खाद व कीटनाशक दवा का अत्यधिक प्रयोग से भूमि, पर्यावरण, फसल के साथ स्वास्थ्य पर खराब असर पड़ता है। कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों का अधिक प्रयोग कर उगाई गई सब्जी या अन्य फसल काफी नुकसानदायक होती है। इससे खानपान, पाचन शक्ति कमजोर हो सकता है। किसानों को जैविक खेती अपनाना चाहिए। ताकि सभी लोग स्वस्थ्य जीवन जी सके।


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