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वाल्मीकिनगर के जंगल में बौद्ध इतिहास के साक्ष्य जमींदोज, ह्वेनसांग ने यात्रा वृतांत में इसे बताया है रामग्राम

बगहा दो के दरुआबारी गांव के समीप मिले किले व दीवारों के अवशेष की नहीं हो सकी खोदाई। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने इसे रामग्राम बताया है यहां रखी गई थीं भगवान बुद्ध की अस्थियां।

By Murari KumarEdited By: Published: Mon, 13 Jan 2020 06:17 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jan 2020 06:17 PM (IST)
वाल्मीकिनगर के जंगल में बौद्ध इतिहास के साक्ष्य जमींदोज, ह्वेनसांग ने यात्रा वृतांत में इसे बताया है रामग्राम
वाल्मीकिनगर के जंगल में बौद्ध इतिहास के साक्ष्य जमींदोज, ह्वेनसांग ने यात्रा वृतांत में इसे बताया है रामग्राम

पश्चिम चंपारण [सौरभ कुमार]। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) अपनी हसीन वादियों के लिए पहचाना जाता है। सरकार यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। वहीं, वाल्मीकिनगर से करीब पांच किलोमीटर दूर दरुआबारी गांव के समीप वीटीआर के जंगल में बौद्ध इतिहास के महत्वपूर्ण साक्ष्य जमींदोज हैं। इसे दुनिया के सामने लाकर पर्यटन स्थल बनाने का प्रयास नहीं हो रहा। 

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 बगहा अनुमंडल के दरुआबारी गांव में थारू व जनजाति समुदाय के लोग रहते हैं। चंपारण गजेटियर के अनुसार, चीनी यात्री ह्वेनसांग सातवीं सदी में यहां आया था। उसने यात्रा वृतांत में दरुआबारी को रामग्राम बताया है। कहा जाता है कि यहां बड़ा बौद्ध स्तूप था। जंगल के बीच करीब पांच दर्जन पुराने कुएं इसकी गवाही भी देते हैं। इसकी पुष्टि किले व दीवारों के अवशेषों से भी होती है। 

 बगहा निवासी व बेंगलुरु के अमृता विश्व विद्यापीठम में दर्शनशास्त्र व अध्यात्म के प्राध्यापक डॉ. प्रांशु समदर्शी ने शोध के दौरान मई 2012 में इस क्षेत्र का जायजा लिया था। उनका कहना है कि दरुआबारी में मिलने वाले पुरातात्विक अवशेष बौद्ध काल से जुड़े लगते हैं। गांव के समीप एक पुराना तालाब है। एक कुएं के पास बलुआ पत्थर के बने दो मगरमच्छ जमीन में दबे दिखते हैं, जो किसी प्राचीन भवन के अवशेष हो सकते हैं। गांव के उत्तर-पश्चिम छोर पर दीवारें बनी हैं, जो शायद इस प्राचीन नगर की परिधि तय करने के लिए निर्मित की गई थीं। वह बताते हैं कि अंग्रेज इतिहासकार ङ्क्षवसेंट स्मिथ भी यहां आ चुके हैं। उन्होंने इसे बौद्ध काल का प्रसिद्ध नगर रामग्राम बताया था।

बुद्ध की जन्मस्थली से तकरीबन 50 किमी दूर रामग्राम

बुद्ध के निर्वाण के बाद उनके शरीर के अवशेष (अस्थियां) को आठ भागों में विभाजित कर आठ स्तूप बनाए गए थे। ये कुशीनगर, पावागढ़, वैशाली, कपिलवस्तु, रामग्राम, अल्लकल्प, राजगृह और बेटद्वीप में बने थे। रामग्राम का अभी पता नहीं है। बुद्ध की जन्मस्थली नेपाल के लुम्बिनी (कपिलवस्तु) से दरुआबारी तकरीबन 50 तो परिनिर्वाण स्थल कुशीनगर से 100 किलोमीटर दूर है। 

 दरुआबारी के कार्तिक काजी और अर्जुन महतो बताते हैं कि यहां बुद्ध से जुड़े प्राचीन अवशेष होने की बात पूर्वजों से सुनते आए हैं। सरकार यदि इस स्थल की खोदाई कराए तो निश्चित रूप से पर्यटन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थल साबित होगा। इसे बौद्ध सर्किट से भी जोड़ा जा सकता है। एसडीएम विशाल राज बताते हैं कि पुरातत्व विभाग इसकी खोदाई कराए, इसके लिए प्रयास होगा। 


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