पूर्वी चंपारण के अंतराष्ट्रीय महत्व के शहर रक्सौल में हर दिन लगने वाला जाम बना है परेशानी की वजह
अंतरराष्ट्रीय महत्व के शहर रक्सौल का छद्म नाम जाम नगर हो गया है। कम दूरी होने के बाद भी स्टेशन या डंकन अस्पताल पहुंचने में लग जाता है घंटों समय। शहर के किसी भी सड़क से गुजरने पर मिलता है जाम।
पूर्वी चंपारण, जेएनएन। हर दिन लगने वाले जाम के कारण अंतरराष्ट्रीय महत्व के शहर रक्सौल का छद्म नाम जाम नगर हो गया है। सुबह हो या शाम दिखता है जाम ही जाम। आपात स्थिति में जल्दी कहीं पहुंचना हो तो बहुत कठिन होगा। लंबी दूरी की ट्रेन या डंकन अस्पताल की दूरी शहर के किसी भी मोहल्ले से एक किलोमीटर से अधिक नहीं है। अगर आपको उक्त स्थलों पर पहुंचना है तो जाम के कारण एक घंटे से अधिक ही लग सकता है।
शहर के किसी भी सड़क से गुजरे, सड़क जाम एवं वाहनों की लंबी लाइन से सामना होगा। हम ये कहे कि जाम से यहां समय का कोई कीमत नही है। तकरीबन शहर के हर चौक पर लगने वाले जाम से शहरवासी आजिज हैं। बिरले ही यहां किसी मोहल्ले में जाम का सामना नहीं करना पड़े। लोगों को उम्मीद थी, बाइपास सड़क यानी आईसीपी निर्माण के बाद जाम से निजात मिल जाएगा। लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।
व्यवसायियों एवं विभिन्न क्षेत्रों से अनुमंडल मुख्यालय आने वाले और नेपाल से आने वाले लोगों का सड़क पर दबाव बढऩा शुरू हो जाता है। गाडिय़ों से पट जाती हैं। यह वही समय होता है जब कार्यालय में आने वाले कर्मचारी, स्कूली बच्चे, व्यवसायी और दैनिक कार्यों से लोग सड़क पर निकलते हैं। लेकिन जाम में फंसे-फंसे प्रशासन एवं सड़क पर निकलने के समय पर खुद को कोसने के अलावा कुछ नहीं कर पाते।
जाम लगने वाले मुख्य चौराहे
दिल्ली-काठमांडू को जोडऩे वाली मुख्यपथ, इंडियन ऑयल के सामने, कौडि़हार चौक, कोइरिया टोला नहर चौक, डंकन अस्पताल चौराहा, कस्टम कार्यालय के समीप रेलवे माल गोदाम जाने वाले मार्ग, बैंक रोड, पोस्ट ऑफिस रोड, आश्रम रोड चौराहा,यूं तो पूरा शहर ही जाम से पटा रहता है।
जाम के बीच प्रदूषण से लोग रहते है बेचैन
जाम के बीच उड़ते धूलकण और वाहनों से निकलते जहरीले धुंए से लोग सांस लेने में समस्या होती है। इसके अलावें आंखों से पानी निकलने लगता है। जाम में फंसते ही लोगों को डीजल और पेट्रोल की बदबू और गाडिय़ों के हॉर्न के शोर छटपटाते रहते है। जिससे शहर वासियों को श्वसन संबंधी कई प्रकार की बीमारी भी होने की संभावना रहती है। सबसे बुरा हाल तो बच्चों के स्कूल की छुट्टी के समय होता है। छुट्टी के समय भूखे प्यासे छोटे-छोटे बच्चों को घर जाने की जल्दी रहती हैं, पर जाम उन्हेंं आगे नहीं बढऩे देता। आवश्यक काम से जाने वाले व्यवसायी जाम में फंस खुद को कोसने के अलावा कुछ नहीं कर पाते। ट्रैफिक पुलिस के नाम पर होमगार्ड के जवान तैनात है। अंतरराष्ट्रीय महत्व के शहर में एक अदद ट्रैफिक पुलिस भी नहीं है। पूर्व में ट्रैफिक ओपी था जिससे करीब दस वर्ष पूर्व बन्द कर दिया गया। इसके उपरांत भारत-नेपाल सीमा का यातायात व्यवस्था गृहरक्षा वाहनी के जवानों के हवाले है। हम ये कहे अप्रशिक्षित यातायात पुलिस कॢमयों हवाले है।
अब पूर्व की तरह ही कुछ पुलिस जवानों और होमगार्ड जवानों के बदौलत ट्रैफिक सिस्टम को दुरुस्त करने की कोशिश हो रही है जो नाकाफी है।
अतिक्रमण के कारण लगता है जाम
शहर में जाम लगने का एक बड़ा कारण अतिक्रमण है। लोग सड़कों के काफी हिस्से को अतिक्रमित कर लिए हैं। चुनाव के समय संपति विरूपण कानून के तहत अतिक्रमण हटाओ अभियान भी चलता है, लेकिन पूरा होने से पहले ही इसे रोक दिया जाता। पूर्व वार्ड पार्षद अशोक अग्रवाल, भैरो प्रसाद गुप्ता, सामाजिक संगठन संभावना अध्यक्ष भरत प्रसाद गुप्ता, युवा समाज सेवी सुरेश यादव, रवि मस्करा ने बताया कि अतिक्रमण जाम का एक बड़ा कारण है अगर प्रशासन सड़कों से अतिक्रमण हटा दे, तो जाम से काफी हद तक निजात मिल जाएगी।
कहते हैं अधिकारी
थानाध्यक्ष अभय कुमार ने बताया कि सड़क जाम से निजात के लिए चौक चौराहे पर पुलिस और होमगार्ड जवानों की तैनाती की गई है। ट्रैफिक पुलिस की तैनाती जिला प्रशासन के द्वारा किया जाता है। पूर्व ट्रैफिक पुलिसकॢमयों की तैनाती थी। यह जानकारी नहीं है। आम लोगों से ट्रैफिक नियमों का पालन करने की अपील की जाती है। सड़क जाम से निजात के हर संभव प्रयास किया जाएगा।