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Samastipur: पांच वर्षों बाद भी कृषि विभाग तक सिमटा मृदा स्वास्थ्य कार्ड, किसान लाभ से वंचित

Samastipur News किसानों के हित में सरकार का मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना पांच वर्षों बाद भी किसानों के खेत तक नहीं पहुंच पाया है। कृषि विभाग एवं उसके टेबल तक सिमटी इस योजना का लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है।

By Murari KumarEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 11:24 AM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 11:24 AM (IST)
Samastipur: पांच वर्षों बाद भी कृषि विभाग तक सिमटा मृदा स्वास्थ्य कार्ड, किसान लाभ से वंचित
समस्तीपुर में मृदा स्वास्थ्य कार्ड के लाभ से किसान वंचित। (सांकेतिक तस्वीर)

समस्तीपुर, जागरण संवाददाता। किसानों के हित में सरकार का मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना पांच वर्षों बाद भी किसानों के खेत तक नहीं पहुंच पाया है। कृषि विभाग एवं उसके टेबल तक सिमटी इस योजना का लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है। सरकार ने कृषि उत्पादन को बढ़ाने तथा मिट्टी की उर्वरा शक्ति बचाने के लिए कृषि क्षेत्र में विकसित देशों की तर्ज पर मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना लागू किया है। जिले में चालू वित्तीय वर्ष में अभी तक मात्र 900 किसानों को ही मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया गया है। जबकि, 11 हजार 80 मिट्टी का नमूना जांच के लिए संग्रह करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके विरुद्ध अब तक 10 हजार 751 नमूना का संग्रह किया जा चुका है। इसमें से अब तक 2968 नमूना जांच किया जा चुका है। जिसमें से अब तक 965 को मृदा कार्ड दिया गया है। 

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जिले के लिए वरदान साबित होने वाली इस योजना के प्रति न तो विभाग की तत्पर है, न ही किसान योजना का लाभ उठाने के लिए आगे आ रहे हैं। नतीजा, रसायनिक उर्वरकों का धड़ल्ले से खेतों में इस्तेमाल हो रहा है। बगैर इस जानकारी के कि खेत में किस ऑर्गेनिक पदार्थ का कितना उपयोग होना चाहिए। इससे प्रतिवर्ष खेतों की उर्वरा शक्ति क्षीण हो रही है। कृषि वैज्ञानिक मानते हैं कि इस अंधी दौड़ का खतरनाक परिणाम तब भुगतना पड़ेगा, जब मिट्टी बंजर हो जाएगी। इस योजना की विफलता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि शायद ही कोई किसान जैविक खाद के सहारे खेती करने को तैयार हैं। हर एक किस्म की खेती में रसायनिक खाद और जहरीले कीटनाशक का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड के लाभ
मृदा स्वास्थ्य कार्ड खेतों के नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश जैसे कार्बनिक पदार्थ की मात्रा जानने के लिए जरूरी है। यह जांच खेती के लिए जरूरी तथा अच्छा है। इससे किसान जान सकेंगे कि मिट्टी में किस पदार्थ की मात्रा कितना इस्तेमाल करना होगा। इससे अनावश्यक रसायनिक खाद के इस्तेमाल से बचा जा सकेगा। जिसका फायदा कम लागत में अधिक उत्पादन तथा मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बचाए रखना है।

फायदा दिखाया जाए तो जैविक खाद से करेंगे खेती 
खानपुर निवासी शुभम कुमार कहते है कि कृषि विभाग से आए लोगों द्वारा मिट्टी जांच की गई। कुछ किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया गया है। लेकिन, इसकी विस्तार से जानकारी नहीं देने से किसान पुराने ढर्रे पर ही खेती और खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं। शोभन निवासी धीरज कुमार ने बताया कि विभाग द्वारा मृदा स्वास्थ्य कार्ड की खानापूरी की गई है। अगर कृषि विभाग द्वारा विस्तार से इसकी जानकारी दी जाए तथा फायदा दिखाया जाए तो निश्चित है कि किसान रासायनिक खाद के बदले जैविक खाद का इस्तेमाल कर खेती करेंगे। 

रसायनिक के बदले जैविक खाद का इस्तेमाल करना जरूरी
ताजपुर प्रखंड के आधारपुर गांव निवासी गौतम कुमार कहते है कि लंबे समय से रसायनिक खाद का इस्तेमाल कर खेती करने से यह विश्वास ही नहीं हो रहा है कि जैविक खाद के सहारे खेती कर हम बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। अगर ऐसा संभव है तो किसान रासायनिक खाद के इस्तेमाल से बचना चाहेंगे। विभूतिपुर निवासी दीपक कुमार ने कहा कि रासायनिक और केमिकल वाले खाद्य का प्रभाव क्षेत्र में 24 घंटे के अंदर देखने को मिलता है। यही कारण है कि ज्यादातर किसान मृदा स्वास्थ्य कार्ड की अहमियत को नहीं पहचान पा रहे हैं। कृषि विभाग को किसानों के बीच इसके लिए माहौल तैयार करना चाहिए। खेत में पर्याप्त रूप से केमिकल खाद का इस्तेमाल हो रहा है। यह खाद फसल के लिए जितना फायदेमंद है, उससे अधिक मिट्टी के लिए नुकसानदेह है। वृहद अभियान चलाकर इसे सफल बनाया जा सकता है।

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