कुत्ते के भौंकने के बाद शेर की दहाड़, भैया, बिहार की राजनीति में यह सब क्या चल रहा?
Mukesh Sahni Vs Ajay Nishad मुकेश सहनी के भाजपा के इशारे पर भौंकने के आरोप को मुजफ्फरपुर के भाजपा सांसद ने किया खारिज बोले- भाजपा कार्यकर्ता भौंकते नहीं दहाड़ते हैं। बोचहां सीट पर दावेदारी के बारे में कहा सीट चाहिए तो योगी जिंदाबाद कहना होगा।
मुजफ्फरपुर, [अमरेंद्र तिवारी]। हरिशंकर परसाई (Harishankar Parsai) ने लोकतंत्र पर व्यंग्य करने के लिए आलेखों में जानवरों का प्रतीकात्मक रूप से उल्लेख किया था। यह बिहार की राजनीति (Bihar politics) के संदर्भ में सच साबित होता दिख रहा है। सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish kumar) के मंत्री मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) और मुजफ्फरपुर से भाजपा सांसद अजय निषाद (Ajay Nishad) के बीच जारी विवाद में पहले कुत्ते और बाद में शेर ने एंट्री ले ली है। दोनों के वार-प्रतिवार ने सूबे के राजनीतिक तापमान को अचानक से ऊपर पहुंचा दिया है। शनिवार को मीडिया से बात करते हुए विकासशील इंसान पार्टी (Vikassheel insan party) के सुप्रीमो मुकेश सहनी (Mukesh sahni) ने भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष अजय निषाद पर आरोप लगाया था कि वे भारतीय जनता पार्टी (BJP) के इशारे पर भौंक (कुत्ते की आवाज) रहे हैं। इसके जवाब ने रविवार को भाजपा सांसद ने कहा, भाजपा के कार्यकर्ता भौंकते नहीं, दहाड़ते (शेर की आवाज) हैं।
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वीआइपी (VIP) विधायक मुसाफिर पासवान की मृत्यु के बाद खाली हुई बोचहां विधानसभा (Bochhan Assembly election) सीट पर मुकेश सहनी की दावेदारी पर उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश (uttar pradesh election 2022) में योगी मुर्दाबाद और बिहार में योगी जिंदाबाद नहीं चलेगा। दोनों जगह योगी जिंदाबाद ही कहना होगा। सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) भाजपा के चमकते सितारे हैं। उनका अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जहां तक इस विधानसभा सीट के बारे में फैसले की बात है तो वह फैसला पार्टी हाइकमान को करना है। और हां, पार्टी हित की बात करने के लिए पूछने की जरूरत नहीं होती।
फिर भाजपा की शरण में ही आएंगे
भाजपा सांसद ने निषाद आरक्षण की मुकेश सहनी की बात को ढोंग करार दिया। कहा, वीआइपी सुप्रीमो आरक्षण के नाम पर समाज को बरगला रहे हैं। केंद्र सरकार की आेर इस प्रस्ताव को रद किए जाने के बाद से उस दिशा में कोई नाम नहीं हो रहा है। वे इस नाम पर लोगों को ठग रहे हैं। मुकेश सहनी के विरासत में राजनीति मिलने के आरोप को भी उन्होंने खारिज कर दिया। कहा, यदि 2014 में यह कहते तो मैं सहमत हो सकता था। 2019 में बाबूजी के देहावसान के बाद मेरे वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है। मैं उनकी तरह अनुकंपा वाला नेता नहीं हूं। पहले महबूब अली कैसर से हारे, उसके बाद उनके बेटे और अब उनके पोते से हारेंगे। एक भी चुनाव नहीं जीता है और सन आफ मल्लाह बनकर घूम रहे हैं। यूपी में चुनाव (UP election ) हो जाए फिर भाजपा की शरण में ही आएंगे। जाएंगे कहां?