पांच साल से सरकारी स्कूलों में बच्चों के नामांकन में गिरावट जारी
लगातार चलाए गए नामांकन अभियान और मिड डे मील योजना के जरिये बच्चों को आकर्षित करने की पहल के बावजूद शिवहर में पिछले पांच साल से साल दर साल सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या में कमी आ रही है।
शिवहर, जासंं। जिले के सरकारी स्कूलों से अभिभावकों का मोहभंग हो रहा है। लगातार चलाए गए नामांकन अभियान और मिड डे मील योजना के जरिये बच्चों को आकर्षित करने की पहल के बावजूद शिवहर में पिछले पांच साल से साल दर साल सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या में कमी आ रही है। इस साल कोरोना के चलते नामांकन पूरी तरह प्रभावित हुआ है। लेकिन पिछले पांच साल से हर साल बच्चों की संख्या में कमी आ रही है। आरटीआइ के जवाब में शिक्षा विभाग ने जो आंकड़े उपलब्ध कराए है, वह चिंताजनक है। लोग बताते हैं कि सरकारी स्कूलों में शिक्षक और संसाधनों का अभाव है।
इलाके में तीसरी कक्षा तक शिक्षा हासिल करने के बाद अभिभावक अपने बच्चों को अन्यत्र भेज देते है। इसकी संख्या 30 फीसद है। जबकि, 20 फीसद बच्चे निजी स्कूलों में दाखिला लेते है। स्कूलों में गिर रहे शिक्षा के स्तर के चलते ही छात्र-छात्राओं ने निजी स्कूलों की ओर रुख करना शुरू कर दिया है। यही कारण है कि शिवहर में सरकारी स्कूलों की अपेक्षा निजी स्कूलों में छात्रों की संख्या लगभग दोगुनी है। एक ओर जहां सरकारी स्कूलों में गुणवत्ताहीन शिक्षा और शिक्षकों की उदासीनता के चलते जहां लगातार छात्र छात्राओं संख्या घट रही है, वहीं निजी स्कूलों का प्रभाव दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि उन गरीब परिवार के बच्चों का भविष्य कैसे संवरेगा जिनके अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूल में पढ़ाने में असमर्थ हैं। शिवहर नगर पंचायत के वार्ड 14 मिश्रा टोली निवासी सामाजिक कार्यकर्ता मुकुंद प्रकाश मिश्र को सूचना के अधिकार कानून के तहत शिक्षा विभाग द्वारा भेजी गई सूचना शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है।