उपेंद्र कुशवाहा और आरसीपी ने मुजफ्फरपुर यात्रा के दौरान इस लक्ष्य पर चलाए तीर, आपको पता चला क्या?
इन यात्राओं के दौरान मुजफ्फरपुर पहुंचे दोनों नेताओं ने अपने कार्यक्रम उन्हीं जगहों पर रखे जहां पार्टी का मजबूत जनाधार है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो इन सीटों पर जदयू की दावेदारी को और मजबूत किया है।
मुजफ्फरपुर, [अमरेंद्र तिवारी]। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में लचर प्रदर्शन के बाद से ही जदयू लगभग इलेक्शन मोड में है। एक ओर जहां पार्टी के सांगठनिक ढांचे में बदलाव किए जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर आगामी चुनाव के लिए तैयारी भी शुरू कर दी गई है। अपनी पार्टी रालोसपा का जदयू में विलय करने के बाद उपेंद्र कुशवाहा बिहार यात्रा के दौरान कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोलने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह आभार यात्रा के माध्यम से पार्टी की सीटों पर दावेदारी काे मजबूत कर रहे हैं। इन यात्राओं के दौरान मुजफ्फरपुर पहुंचे दोनों नेताओं ने अपने कार्यक्रम उन्हीं जगहों पर रखे जहां पार्टी का मजबूत जनाधार है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो इन सीटों पर जदयू की दावेदारी को और मजबूत किया है। अभी इस बारे में कोई भी कुछ कहने से बच रहा है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे पार्टी की रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं।
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आधा दर्जन सीटों पर दावेदारी
यूं तो जदयू संसदीय बोर्ड अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की मुजफ्फरपुर यात्रा पार्टी के अंदर गुटबाजी व शक्ति प्रदर्शन के कारण सुर्खियों में रही, लेकिन इसके पीछे का एक अलग एजेंडा भी अब सामने आ रहा है। जिसके संकेत विभिन्न माध्यमों से भी मिल रहे हैं। कार्यक्रम में सक्रिय रहे नेताओं की मानें तो आनेवाले दिनों में जो भी विधानसभा चुनाव होंगे, उसमें पार्टी आधा दर्जन सीटों पर दावेदारी कर सकती है। गौर करें तो उपेंद्र कुशवाहा की यात्रा भी जिले के 11 में से 6 सीटों पर केंद्रित थी। जिसमें कुढ़नी, सकरा, गायघाट, बोचहां, मीनापुर व कांटी प्रमुख हैं। हालांकि आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति पर इन नेताओं ने खुलकर बात नहीं की, लेकिन इशारे ही इशारे में बहुत कुछ कह गए। जनता दल यूनाइटेड को चिंतन शिविर नाम से एकजुट करने के लिए अभियान चला रहे नेता रंजीत सहनी के नेतृत्व में आयोजित बैठक में उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि समता पार्टी काल से लेकर अभी तक के जो भी हैं, एकजुट रहें। समय पर पार्टी सबको हिस्सेदारी देगी। कहीं न कहीं उनका निशाना सीटों पर ही माना जा रहा है।पिछले 2020 के चुनाव की बात करें तो मीनापुर, कांटी, गायघाट और सकरा सीट पर जदयू प्रत्याशी थे। जीत केवल सकरा में हुई। दोनों नेताओं ने यात्रा की शुरुआत कुढ़नी विधानसभा से की। पिछले चुनाव में भाजपा ने प्रत्याशी दिया था, लेकिन वहां पर आरजेडी ने भाजपा को पराजित किया। बोचहां सीट पर एनडीए गठबंधन के वीआइपी की ओर से मुसाफिर पासवान विधायक हैं।
सभी जदयू के बैनर तले एक दिखे
राजनीतिक चिंतकों की मानें तो वीआइपी को लेकर अनिश्चितता बरकरार है। इसलिए इसको भी रडार पर रखा है। पिछले चुनाव में जदयू से अलग होकर कुछ लोग चुनाव लड़े तो कुछ टिकट के दावेदार भी थे। इस यात्रा में पिछले विधानसभा चुनाव के तमाम गिले-शिकवे दूर कर सभी जदयू के बैनर तले एक दिखे। इसके पीछे उपेंद्र कुशवाहा की रणनीति देखी जा रही है। कुढनी में पिछली बार रालोसपा से चुनाव लड़े रामबाबू कुशवाहा भी इस बार उपेंद्र कुशवाहा के कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते दिखे। वहीं जेडीयू के वरीय नेता पूर्व मंत्री मनोज कुशवाहा ने भी पूरी ताकत से उनका स्वागत किया। मीनापुर में भी जिला अध्यक्ष मनोज कुमार के साथ तेज नारायण सहनी व पंकज किशोर पप्पू पूरी ताकत लगाते दिखे। कांटी की बात करें तो पिछले चुनाव लड़ने वाले अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के उत्तर बिहार अध्यक्ष मोहम्मद जमाल के साथ कांटी प्रखंड के पूर्व अध्यक्ष सौरभ कुमार साहिब भी पूरी ताकत के साथ उपेंद्र कुशवाहा के कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर साथ रहे। सकरा में विधायक अशोक चौधरी के साथ पूर्व प्रमुख अनिल राम समेत कई दिग्गज साथ दिखे। उपेंद्र कुशवाहा ने सभी सीटों पर विधानसभा चुनाव में अलग-अलग डफली बजाने वाले सारे पुराने नए लोगों को एकजुट कर एक मैसेज देने का काम किया है। आरसीपी सिंह ने भी अपनी यात्रा में कहा कि एकता ही संगठन की ताकत है। आपलोग सभी एकजुट रहें। आने वाले दिनों में इस तरह की यात्राओं के क्या प्रभाव होंगे, यह चर्चा का विषय है। 2005 में एनडीए एकजुट था, उस समय कांटी, बरुराज, साहेबगंज, कूढनी, गायघाट, मीनापुर, औराई सकरा से जेडीयू लड़ा था। 2010 में पार्टी ने बरूराज, साहेबगंज, कांटी, मीनापुर, कुढ़नी सकरा से प्रत्याशी उतारे। 2015 में एनडीए से अलग होकर जेडीयू महागठबंधन यानी आरजेडी से साथ चुनाव लड़ा। उस समय बोचहां, मुजफ्फरपुर और कुढनी पर लड़े और तीनों ही सीट हार गए। 2020 में जो चुनाव हुआ है उसमें पार्टी 4 सीटों पर लड़ी। केवल सकरा जीत सकी। अब अगले विधानसभा चुनाव में 4 से बढ़कर 6 सीटें होने पर सबकी नजर है।