बिहार बोर्ड और कॉलेज प्रशासन की लापरवाही से मुजफ्फरपुर में कई छात्र-छात्राएं इस वर्ष भी इंटर परीक्षा से रह सकते वंचित
एमडीडीएम कॉलेज से 5 छात्राओं के एडमिट कार्ड में इस प्रकार की गड़बड़ी का मामला सामने आया है। ये छात्राएं इसी गड़बड़ी के कारण पिछले वर्ष की वार्षिक परीक्षा में भी शामिल होने से वंचित रह गई थीं।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति और कॉलेजों के लापरवाह रवैया के कारण अगले वर्ष संचालित होने वाली इंटर की परीक्षा से दर्जनों छात्र-छात्राएं वंचित हो सकते हैं। बिहार बोर्ड की ओर से जारी डमी एडमिट कार्ड में कई छात्र-छात्राओं का विषय बदल दिया गया है। साथी सुधार के लिए कोई विकल्प भी नहीं दिया जा रहा है। एमडीडीएम कॉलेज से 5 छात्राओं के एडमिट कार्ड में इस प्रकार की गड़बड़ी का मामला सामने आया है। ये छात्राएं इसी गड़बड़ी के कारण पिछले वर्ष की वार्षिक परीक्षा में भी शामिल होने से वंचित रह गई थीं। छात्रा वंदना कुमारी ने बताया कि पिछले वर्ष के रजिस्ट्रेशन के आधार पर ही इस वर्ष फॉर्म भरी थी। लेकिन जब डमी एडमिट कार्ड डाउनलोड की तो हिंदी विषय की जगह उर्दू विषय शामिल कर दिया गया है। जब उसने कॉलेज के कर्मचारियों से इसकी शिकायत की तो सभी ने पल्ला झाड़ लिया। उसने प्राचार्य से मिलकर इसकी शिकायत की। कहा कि उसने सही-सही विषयों का चयन किया था इसके बाद भी विषय बदल दिया गया है। ऐसे में वह इस वर्ष भी परीक्षा देने से वंचित हो जाएगी। प्राचार्य ने कहा कि कॉलेज प्रशासन की कोई गलती नहीं है। उसे बिहार बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय में संपर्क करना चाहिए। उस एडमिट कार्ड को लेकर जब छात्रा मोतीझील स्थित क्षेत्रीय बिहार बोर्ड कार्यालय पहुंची तो वहां से कॉलेज प्रशासन की गलती बता कर लौटा दिया गया।
पिछले वर्ष 300 से अधिक छात्र रह गए थे परीक्षा से वंचित
बता दें कि पिछले वर्ष इसी गलती के कारण जिले भर से करीब 300 छात्र-छात्राएं छात्र-छात्राएं परीक्षा देने से वंचित रह गए थे। सूबे में ऐसे परीक्षार्थियों की संख्या 5000 से अधिक थी। लगातार शिकायत मिलने के बाद बिहार बोर्ड की ओर से इन छात्र-छात्राओं के लिए विशेष परीक्षा का आयोजन करने का आश्वासन भी दिया गया था। लेकिन परीक्षा के तुरंत बाद कोरोना के कारण लॉकडाउन की स्थिति आ गई और इन छात्र-छात्राओं की परीक्षा पर विचार नहीं किया गया इस वर्ष फिर से इनके एडमिट कार्ड में गड़बड़ी का मामला सामने आया है। सवाल यह उठ रहा है कि जब छात्र छात्राओं की ओर से सही फॉर्म भरा गया तो एडमिट कार्ड में गड़बड़ी कहां हुई। यदि इस वर्ष भी परीक्षार्थी परीक्षा नहीं दे पाते तो दो वर्षों का समय बर्बाद करने के लिए जिम्मेदार कौन होगा।