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West Champaran : मृदा जांच नहीं होने से किसानों के खेतों में लग रही कई तरह की बीमारी, वैज्ञानिक तरीके खेती फायदेमंद

कृषि कार्य के लिए किसी भी वैज्ञानिक पद्धति का उत्थान अभी प्रखंड कार्यालय में नहीं हुआ है। न ही यहां कृषि कर्मियों के द्वारा लोगों को मिट्टी जांच कराने एवं वैज्ञानिक तरीके तरीके से किसी करने की जानकारी भी दी जाती है।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 26 Jul 2021 05:29 PM (IST)Updated: Mon, 26 Jul 2021 05:29 PM (IST)
West Champaran : मृदा जांच नहीं होने से किसानों के खेतों में लग रही कई तरह की बीमारी, वैज्ञानिक तरीके खेती फायदेमंद
मृदा परीक्षण नहीं होने से मिट्टी के अंदर कौन-कौन से तत्व की कमी यह पता नहीं चल पाता। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पश्चिम चंपारण, जासं। प्रखंड के किसी भी पंचायतों में मृदा परीक्षण का कार्य नहीं होता है। मृदा परीक्षण नहीं होने से मिट्टी के अंदर कौन-कौन से तत्व की कमी है। इसकी जानकारी किसानों को नहीं हो पाती है। जिससे किसान तरह-तरह की खाद अपने खेतों में देते हैं। लेकिन उसका ज्यादा फायदा फसल को नहीं मिल पाता है । हालांकि कृषि कार्य के लिए किसी भी वैज्ञानिक पद्धति का उत्थान अभी प्रखंड कार्यालय में नहीं हुआ है। न ही यहां कृषि कर्मियों के द्वारा लोगों को मिट्टी जांच कराने एवं वैज्ञानिक तरीके तरीके से किसी करने की जानकारी भी दी जाती है। किसान अभी भी पुराने तरीके से खेती करते हैं। जिससे उनकी उपज काफी कम होती है। मिट्टी में किस तत्व की कमी है इसकी जानकारी यहां के किसानों को नहीं हो पाती । किसानों को यह भी जानकारी नहीं हो पाती है कि खेतों में कौन सी खाद कितनी मात्रा में देनी चाहिए। जो फसल के लिए लाभदायक होता है।

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मृदा जांच कर खेती करने से किसानों को होगा बहुत बड़ा लाभ

गंडक पार के ग्रामीण किसानों की स्थिति काफी संघर्ष भारी होती है । एक तरफ जहां किसानों को बाढ़ की मार झेलनी पड़ती है। वहीं सुखाड़ भी उनकी खेती को बर्बाद कर देता है। इस परिस्थिति किसान अपनी फसलों की समुचित उपज करना चाहते हैं। किसानों को अगर वैज्ञानिक तरीके से खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए एवं प्रत्येक खेत की मृदा जांच कर उस हिसाब से उस खेत में रसायनिक खादों का प्रयोग किया जाए तो इनकी उपज काफी अच्छी होगी। लेकिन मिट्टी जांच सहित अन्य व्यवस्था नहीं होने के चलते एक साल में धान की उपज साल में खाने से भी कम हो जाती है जबकि किसानों का खर्च ज्यादा बैठता है। खेतों में फास्फोरस पोटाश कैलशियम मैग्निशियम सहित कई अन्य तत्व होते हैं। लेकिन मृदा जांच से कौन से तत्व कितनी मात्रा में खेत में है । इसका पता चल जाता है। जिससे इसके अनुसार ही हम रासायनिक खादों का प्रयोग कर सकते हैं।

पुरानी कृषि पद्धति एवं मृदा जांच कराने लिए अब तक नहीं हुआ प्रयास

प्रखंड के कृषि विभाग के द्वारा अब तो क्षेत्र में मृदा जांच की कोई व्यवस्था नहीं की गई है । न ही पुरानी पद्धति से होने वाले खेती को नए तकनीकी या नया दिशा ही दिया गया है । ग्रामीण छोटेलाल गद्दी, शरीफ गद्दी, हाशिम गद्दी एवं नथू गद्दी आदि लोगों ने बताया कि अब तक सरकार के द्वारा मिट्टी जांच की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। बिना मिट्टी जांच के ही यहां पर कृषि कार्य होता है । खेतों में अधिक मात्रा में रासायनिक खाद दिया जाता है। लेकिन उत्पादन सही ढंग से नहीं हो पाता। अगर सरकार के द्वारा मिट्टी जांच की व्यवस्था करा दी जाए एवं वैज्ञानिक तरीके से किसी कार्य प्रारंभ किया जाए तो लोग को कम खाद में ज्यादा उपज मिलेगी।

--समय समय से प्रखंड कृषि कार्यालय में किसानों की मिट्टी जांच करने की व्यवस्था होती है। लोगों को नई तकनीक से खेती करने के लिए भी किसान सलाहकारों के द्वारा बताया जाता है। अधिकांशत किसान इस पर ध्यान नहीं देते। जिसके चलते मृदा जांच एवं रासायनिक खादों का प्रयोग उनके द्वारा ज्यादा करना पड़ता है। - संजय कुमार सिंह, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, मधुबनी


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