West Champaran : रसोई गैस पर पड़ी महंगाई की मार, उपभोक्ता हो रहे परेशान
East Champaran उज्जवला योजना के तहत एलपीजी लेने वालों में आई कमी गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों को रियायत पर एलपीजी का कनेक्शन दिया गया। एक सिलेंडर के लिए उपभोक्ताओं को करना पड़ रहा है 894.5 रुपये ।
पश्चिम चंपारण (बगहा), जासं। महिलाओं को लकड़ी के चूल्हा से आजादी दिलाने के लिए उज्ज्वला योजना की शुरुआत हुई । इस योजना से काफी लोगों को फायदा भी पहुंचा। गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों को रियायत पर एलपीजी का कनेक्शन दिया गया। जिसका शुभारंभ वर्ष 2016 के मई से किया गया था। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में धुंआरहित भारत की परिकल्पना है। जिससे स्वास्थ्य विकार को दूर करने, वायु प्रदूषण को कम करने व वनों की कटाई पर रोक लगाने में मदद मिलती है। इस योजना से कुछ हद तक इसपर काबू भी पाया गया। पर, इधर कुछ दिनों से घरेलू इस्तेमाल वाले इस गैस के दाम में वृद्धि हो रही है। जिससे उज्जवला योजना के कनेक्शन धारी इससे दूर हो रहे हैं। वहीं आम लोगों को भी इसके उठाव में पसीने छूट रहे हैं। पहले जहां एक सिलेंडर पांच सौ रुपये में आता था। वर्तमान में एक सिलेंडर के लिए उपभोक्ताओं को 894 रुपये 50 पैसे का भुगतान करना पड़ता है।
प्रखंड में करीब 25 हजार उपभोक्ता
प्रधानमंत्री के घोषणा के बाद से नगर व प्रखंड में एलपीजी कनेक्शन देने के लिए कई बार शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें हजारों लोगों को सिलेंडर, चूल्हा आदि मुहैया कराया गया। सूत्रों के अनुसार अभी प्रखंड में कुल 25 हजार उपभोक्ता उज्जवला योजना के हैं। जिसमें एचपी के करीब 15 हजार, इंडेन के करीब 10 हजार व भारत गैस के साथ अन्य उपभोक्ता भी शामिल हैं। एजेंसी संचालकों की मानें तो पहले जिस समय कनेक्शन दिया गया था। उस दौरान गैस के लिए काफी महिलाओं का बुकिंग के लिए फोन आते थे। पर, धीरे-धीरे इसमें कमी आ गई है। इसका असर महंगाई बढ़ने पर अधिक दिख रहा है। फिलहाल आधा उपभोक्ता ही गैस का उठाव कर रहे हैं।
लॉकडाउन के दौरान बढ़े थे उपभोक्ता
नगर के एचपी सौम्या गैस एजेंसी में कार्यरत कर्मी अभिषेक पांडेय व महुई ग्रामीण इंडेन के कर्मी रविन्द्र प्रसाद ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान निशुल्क तीन सिलेंडर उज्जवला योजना वालों को देने की व्यवस्था की गई थी। उस दौरान काफी संख्या में उपभोक्ता आते थे। जो अब फिर से कम हो गए हैं।
कहते हैं उपभोक्ता :-
नगर के आर्यनगर निवासी सुनीता श्रीवास्तव का कहना है कि गैस के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में सोच समझकर ही इसका उपयोग किया जा रहा है। इस तरह से दाम बढ़ता रहा तो गैस का उठाव मुश्किल हो जाएगा। इधर नगर निवासी तारा देवी कहती हैं कि आधा काम गैस से और अाधा खाना लकड़ी से पकता है। मंहगाई के कारण गैस का उठाव समय से नहीं हो पा रहा है। रूकमीणा देवी, सोहराबी देवी व लक्ष्मीना का भी कुछ ऐसा ही कहना है।
उज्जवला योजना के सिलेंडर का होता है व्यवसायिक उपयोग
उज्जवला योजना का लाभ निर्धन लोगों को ही मिले इसको ध्यान में रखकर किया गया था। पर, इसका अवैध वाणिज्यिक इस्तेमाल भी नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में किया जा रहा है। एक होटल संचालक ने बताया कि जिसके नाम से कनेक्शन है। महंगाई के कारण इसका उठाव कर उपभोक्ता हीं इसे बेच देते हैं। कभी-कभी गैस भराने के लिए राशि दुकानदार ही दे देतेे हैं। इसके एवज में सिलेंडर इस्तेमाल के लिए दे दिया जाता है। कामर्शियल सिलेंडर से सस्ता होने के कारण इसे दुकानदार खरीद लेते हैं। ग्राहकों के लिए चाय-पानी का इंतजाम इसी से चलाया जाता है।