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पानी के लिए हाहाकार अब भी बरकरार, नहीं दूर हो पाई लोगों की परेशानी

पानी की जद्दोजहद में चैत के साथ बीता वैशाख। अब जेठ की तपती दुपहरी भारी। टैंकरों से पानी पहुंचाने स्पेशल चापाकल लगाने व पुराने की मरम्मत के नाम पर खर्च।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 26 May 2019 10:30 AM (IST)Updated: Sun, 26 May 2019 10:30 AM (IST)
पानी के लिए हाहाकार अब भी बरकरार, नहीं दूर हो पाई लोगों की परेशानी
पानी के लिए हाहाकार अब भी बरकरार, नहीं दूर हो पाई लोगों की परेशानी

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। पानी की जद्दोजहद में चैत के साथ वैशाख भी गुजर गया। हाहाकार अब भी बरकरार है। जेठ भी लगता है इसी संघर्ष व दुविधा में निकल जाएगा। पानी की किल्लत दूर नहीं हो पाई मगर उसके नाम पर खर्च का भारी भरकम बिल जरूर बन गया। औराई की एक पंचायत की अगर बात करें तो वहां की सिर्फ योजना में खर्च का बजट सुनकर माथा चकरा जाएगा। 13 व 14 नंबर वार्ड में ग्रामीण जलापूर्ति योजना के नाम पर 29,92,286.37 लाख रुपये खर्च का बजट बना है। यह तो एक बानगी है जलसंकट से फिलहाल सात प्रखंड जूझ रहे हैं। इनमें मुरौल, सकरा व बंदरा में भीषण संकट है। जलसंकट का दायरा रोज बढ़ता ही जा रहा है। इस महीने बारिश नहीं हुई तो हालात और खराब हो सकते हैं।

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जलसंकट के मूल में नहीं जा रहा विभाग

विभागीय लोगों के मुताबिक जिले में लगातार जल के स्रोत सूख रहे हैं और सिर्फ चार फीसद स्रोतों से ही पीने का पानी मयस्सर है। ऐसे में आने वाले वक्त में जलसंकट और गहराने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। क्यों सुख रहे हैं जल स्रोत, क्या वजह है इस के पीछे की ये जानने के लिए विभागीय जद्दोजहद नकारा साबित हो रही।

16 इलाकों में पानी पहुंचाने व चापाकल लगाने के नाम पर खर्च

जलसंकट के नाम पर भारी भरकम खर्च हो रहा। प्यास फिर भी नहीं बूझ पा रही। पीएचईडी 16 इलाकों में पानी पहुंचाने, चापाकल मरम्मति व स्पेशल चापाकल लगाने के नाम पर ये खर्च कर रहा। उसके मुताबिक मुरौल में चार, सकरा में सात, मुशहर में दो, बंदरा में दो तथा कांटी की एक पंचायत में टैंकर से पानी का सप्लाई किया जा रहा। साधारण चापाकलों के जवाब देने से उसकी जगह इंडिया मार्का टू चापाकल लगाए जा रहे हैं। चापाकल में 10 फुट तक सेक्शन पाइप जोड़ा जा रहा। विभाग के मुताबिक इंडिया मार्का टू चापाकल की खासियत है कि यह गर्मी के पानी का लेयर नीचे जाने के बावजूद नहीं सूखेगा। इस चापाकल में पानी खींचने वाला बॉकेट जमीन के 60 फीट नीचे होता है।

दिनभर में 48 ट्रीप टैंकरों के लगाने की बात

सादिकपुर मुरौल में स्कूल के पास, ईटहां रसूलनगर के मालपुर में, हरसिंगपुर लौतन में चौक पर, मीरापुर में मदरसा के नजदीक, मुरा हरलोचन में बारी चौक पर, मझौलिया में, केशोपुर में मंदिर के पास, मिश्रौलिया में स्कूल पर, मुजफ्फरपुर में पुलिस लाइन, सकरा फरीदपुर में, गौरीहार के पैतरापुर में, रामपुरदयाल में चौक पर, रतवारा में हनुमान मंदिर के निकट, कांटी में तथा नगर क्षेत्र में एमआईटी के पास प्वाइंट पर पानी पहुंच रहा है।

पीएचईडी के एसडीओ ने कहा-जलसंकट दूर करने को विभाग अपने स्तर पर कर रहा प्रयास

  पीएचईडी के एसडीओ ई. प्रेमशंकर सिंह ने कहा कि जलसंकट दूर करने के लिए विभाग अपने स्तर पर तमाम जतन कर रहा। खर्च में न कोताही है न किसी प्रकार की अनियमितता वाली बात। जलस्तर नीचे जाने से जहां-तहां दिक्कतें आ रही हैं।

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