बुद्ध व गांधी की यादों को आपस में जोडऩे का सपना अधूरा
2004 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हाजीपुर-सुगौली रेलमार्ग की नींव रखी थी। इस रेलवे मार्ग से वैशाली मुजफ्फरपुर पूर्वी व पश्चिम चंपारण एक साथ जुड़ेगा।
मुजफ्फरपुर, [अमरेन्द्र तिवारी]। महात्मा बुद्ध की पावन भूमि वैशाली को महात्मा गांधी की कर्मभूमि चंपारण से रेलमार्ग के द्वारा जोडऩे का सपना तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देखा था। इसको जमीन पर उतारने के लिए बकायदा उन्होंने 2004 में हाजीपुर-सुगौली रेलमार्ग की नींव डाली। इस योजना को 2009 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। इस रेलवे मार्ग से वैशाली, मुजफ्फरपुर, पूर्वी व पश्चिम चंपारण एक साथ जुड़ेगा। 2004 से अबतक यानी 15 साल में कई सरकारें बदलीं। लेकिन, यह महत्वाकांक्षी योजना पूरा नहीं हुई। इस रेलमार्ग पर सफर का सपना अब भी अधूरा ही है। इस मार्ग में महावीर की जन्मभूमि बासोकुंड में स्टेशन बनाने की मांग भी उठ रही है। पेश है रिपोर्ट।
हाजीपुर-सुगौली रेल लाइन की वर्तमान स्थिति को देखने के लिए पारू, साहेबगंज, बखरा होते हुए वैशाली प्रखंड चौक के पास रुका। पास में चाय की दुकान पर बैठे लोग चुनावी चर्चा में मशगूल थे। वहां की जमीनी स्थिति का हाल लेने मैं भी चाय की दुकान के अंदर दाखिल हुआ। मुकेश कुमार से मुलाकात हुई। परिचय के बाद उन्होंने बताया कि पास में ही नया स्टेशन बन रहा है। कुछ देर रुकने के बाद मैं स्टेशन की ओर चल पड़ा। रास्ते में वैशाली गढ़ मिला। जहां से महात्मा बुद्ध ने शांति का संदेश दिया था।
निर्माणाधीन स्टेशन के पास शंभू मोहन से मुलाकात हुई। उन्होंने कहा कि इस रेलवे लाइन के बनने से पूरे इलाके का कल्याण हो जाएगा। इतना ही नहीं बुद्ध की पावन भूमि, महावीर की जन्मभूमि और महात्मा गांधी की कर्मभूमि चंपारण का सीधा जुड़ाव माता सीता की जन्मभूमि नेपाल से होगा। क्योंकि हाजीपुर-सुगौली रेलमार्ग का जुड़ाव रक्सौल से है और रक्सौल के बाद तो नेपाल सीमा प्रांरभ हो जाती है। इसी क्रम में चर्चा हुई कि रक्सौल-काठमांंडू रेल लाइन के निर्माण की बात आगे बढ़ी है।
बातचीत के बीच में वैशाली के लालजी प्रसाद आए। उन्होंने बताया कि रेल लाइन को बनाने के लिए 2004 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वैशाली गढ़ पर सभा के बाद शिलान्यास किया था। उस समय रेलमंत्री नीतीश कुमार थे। तब 325 करोड़ की इस योजना का निर्माण 2009 तक पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन निर्माण की धीमी गति से इसका लागत खर्च बढ़ता चला गया। बकौल लालजी यहां जो रेलवे अधिकारी निरीक्षण करने आते है वे बताते हैं कि समय पर काम पूरा नहीं होने से अब इस परियोजना पर कुल लागत खर्च करीब 1500 करोड़ रुपये तक होने की संभावना है।
वैशाली यात्रा के क्रम में बासोकुंड में भगवान महावीर स्मारक समिति के कार्यकारी अध्यक्ष अनिल जैन व समाजसेवी उर्मिल जैन से भी मुलाकात हुई। उन्होंने बताया कि इस नई रेललाइन के बनने से बुद्ध व महावीर से जुड़े स्थल देखने आने वाले पर्यटकों को काफी सहुलियत होगी। महावीर की जन्मभूमि बासोकुंड के पास स्टेशन का निर्माण होना चाहिए। वह इसके लिए पहल कर रहे हैं। जैन ने बताया कि महावीर जयंती के मौके पर पिछले दिनों बासोकुंड आए समस्तीपुर रेल मंडल के डीआरएम आरके जैन से इस पर बातचीत हुई। वे गंभीर हुए तथा कहा कि पर्यटन की दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण इस रेलवे लाइन का निर्माण हो इसके लिए वे भी पहल करेंगे।
यात्रा के क्रम में जो जानकारी मिली उसके हिसाब से हाजीपुर घोसवर टर्निंग से वैशाली के बीच करीब 28 किमी की दूरी है। वैशाली तक रेललाइन के साथ-साथ रास्ते में पुल-पुलिया निर्माण का काम पूरा हो गया है। रेलवे क्वार्टर भी करीब-करीब बन गए हैं। वैशाली में स्टेशन भवन, प्लेटफॉर्म और फुटओवर ब्रिज बनकर तैयार हैं। पिछले साल बजट में इस रेलवे खंड का काम पूरा करने के लिए बजट दिया गया है तथा 2019 तक सुगौली तक ट्रेन चलाने का लक्ष्य तय किया गया है। उसके हिसाब से तो अब हाजीपुर-सुगौली रेलखंड पर पटरी बिछाने का काम शुरू हो चुका है।
15 स्टेशन बनाने की तैयारी
रेल मार्ग के निर्माण से जुड़े जानकारों की मानें तो इस रेलखंड से वैशाली के साथ मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण व पश्चिमी चंपारण के लोगों को लाभ मिलेगा। इस रेलखंड पर चार हॉल्ट समेत 15 स्टेशन बनाए जाएंगे। जिसमें वैशाली जिले में घोसवर, हरौली, फतेहपुर, घटारों, लालगंज व वैशाली, मुजफ्फरपुर जिले में सरैया, पारू, देवरिया, साहेबगंज और पूर्वी चंपारण जिले में केसरिया, सिसवा, पटना, विशुनपुर, मधुवन, अरेराज व हरसिद्धि तथा पश्चिम चंपारण जिले के रामपुर में स्टेशन बनाने का प्रस्ताव रखा गया है।