ड्रेनेज रिचार्ज से दूर होगी खेतों में जलजमाव की समस्या, इस तरह काम करता है यह सिस्टम
डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि पूसा के विज्ञानियों ने विकसित की तकनीक। एक यूनिट से 25 से 30 एकड़ क्षेत्र जलजमाव मुक्त किया जाता है। यह प्रति सेकेंड एक से ढाई लीटर पानी सोखता है। प्रति यूनिट ढाई से तीन लाख की लागत आती है।
मुजफ्फरपुर, [अमरेंद्र तिवारी]। अब जलजमाव वाले खेत हरे-भरे होंगे। वहां का पानी सोखकर उसे कृषि योग्य बनाया जा रहा है। मधुबनी में इसकी शुरुआत की गई है। उत्तर बिहार में जलजमाव को देखते हुए समस्तीपुर के पूसा स्थित डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के शस्य एवं जल प्रबंधन विभाग ने पहल की है। विज्ञानियों ने ड्रेनेज रिचार्ज स्ट्रक्चर का निर्माण किया है। इसे जलजमाव वाले खेतों के पास लगाया जाता है। इससे खेतों में जमा पानी जमीन के अंदर चला जाता है। विज्ञानियों का दावा है कि यह तकनीक बाढ़ और बारिश, दोनों ही परिस्थितियों में फायदेमंद है।
ऐसे काम करता है सिस्टम
जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के समन्वयक डा. रत्नेश कुमार झा बताते हैं कि ड्रेनेज रिचार्ज स्ट्रक्चर बनाने के लिए जलजमाव वाले क्षेत्र में सबसे निचले भाग का चयन किया जाता है। वहां आपस में जुड़े छह से सात फीट गहरे तीन पक्के चैंबर बनाए जाते हैं। आखिरी चैंबर 150 से 200 फीट गहरे पाइप से जुड़ा रहता है। ढाल क्षेत्र में स्ट्रक्चर होने के कारण आसपास जमा पानी पहले चैंबर में पहुंचता है। इसके बाद दूसरे व तीसरे में जाता है। अंत में पाइप के सहारे भूजल में मिल जाता है। इस प्रक्रिया में मिट्टी, गाद या अन्य गंदगी चैंबर में रह जाती है। एक यूनिट से 25 से 30 एकड़ क्षेत्र जलजमाव मुक्त किया जाता है। यह प्रति सेकेंड एक से ढाई लीटर पानी सोखता है। प्रति यूनिट ढाई से तीन लाख की लागत आती है।
खत्म हुई 30 साल पुरानी समस्या
डा. रत्नेश बताते हैं कि 2020 में शोध पूरा होने के बाद मधुबनी के सुखेत में एक यूनिट लगाकर परीक्षण पूरा किया जा चुका है। वहां 25 एकड़ जमीन को जलजमाव से मुक्त कर खेती की गई है। किसान राजेंद्र महतो बताते हैं कि 30 साल से जलजमाव की समस्या थी, अब खत्म हो गई।
पहले चरण में 10 यूनिट लगाने की योजना
कुलपति डा. आरसी श्रीवास्तव का कहना है कि सूबे में जलजमाव के कारण व्यापक क्षेत्र में खेती नहीं हो पाती है। इस तकनीक से जलजमाव से मुक्ति मिलेगी। गर्मी में जलस्तर भी बरकरार रहेगा। मधुबनी में परीक्षण पूरा होने के बाद मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, समस्तीपुर, दरभंगा, सारण, सिवान व गोपालगंज में यूनिट स्थापित की जाएगी।