ऑटो गार्बेज खरीद घोटाला में डॉ.रंगनाथ चौधरी का कोर्ट में आत्मसमर्पण, जमानत
हाईकोर्ट ने दी थी अग्रिम जमानत विशेष कोर्ट में 30 दिनों के अंदर आत्मसमर्पण करने का दिया था आदेश। दस हजार के दो बंध पत्र वाले जमानतदारों को पेश करने पर मिली जमानत।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। ऑटो गार्बेज खरीद घोटाला के आरोपित तत्कालीन प्रभारी नगर आयुक्त व एडीएम डॉ.रंगनाथ चौधरी ने बुधवार को विशेष न्यायालय निगरानी के कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। हाईकोर्ट से मिली अग्रिम जमानत के आलोक में आत्मसमर्पण किया। विशेष कोर्ट ने दस हजार के दो बंध पत्र वाले जमानतदारों को पेश करने पर जमानत पर रिहा कर दिया।
हाईकोर्ट ने दिया था आदेश
विशेष न्यायालय (निगरानी) से अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज होने के बाद उनकी ओर से हाईकोर्ट में अपील याचिका दाखिल की गई थी। इसकी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया। हाईकोर्ट ने उन्हें 30 दिनों के अंदर निचली विशेष न्यायालय (निगरानी) में आत्मसमर्पण कर जमानत का बंध पत्र दाखिल करने का आदेश दिया था।
मेयर सहित दस आरोपित
इस मामले में जांच के बाद मामला प्रथम दृष्टया सत्य पाए जाने पर मेयर सुरेश कुमार, तत्कालीन नगर आयुक्त रमेश रंजन प्रसाद, तत्कालीन प्रभारी नगर आयुक्त और अपर समाहर्ता डॉ. रंगनाथ चौधरी सहायक अभियंता महेंद्र सिंह, आपूर्तिकर्ता मोहन हिम्मत सिंगा सहित दस आरोपितों के खिलाफ निगरानी थाने में केस दर्ज कराई थी। पांचों आरोपितों की अग्रिम जमानत की अर्जी विशेष न्यायालय (निगरानी) ने खारिज कर रखी है।
यह है मामला
वर्ष 2017 में नगर निगम की सशक्त स्थायी समिति ने शहर की सफाई के लिए 50 गार्बेज टिपर खरीदने का प्रस्ताव पारित किया था। निगम की ओर से पिछले साल नौ सितंबर को टेंडर आमंत्रित किया गया। इसमें तीन फर्मों ने भाग लिया। माड़ीपुर के तिरहुत ऑटोमोबाइल, कुरुक्षेत्र हरियाणा के न्यू भारत इंजीनियरिंग सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड व पाटलिपुत्रा पटना के मे. मौर्या मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड शामिल थे।
टेंडर में सबसे कम मूल्य दर्शाने वाले फर्म को दरकिनार कर मे. मौर्या मोटर्स को आपूर्ति का आदेश दिया गया। इसी के खिलाफ तिरहुत ऑटोमोबाइल के प्रोपराइटर की ओर से निगरानी अन्वेषण ब्यूरो में शिकायत की गई थी।