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पश्चिम चंपारण में कहीं डायवर्सन तो कहीं अंधा मोड़ होने से हो रहीं दुर्घटनाएं

मानक के अनुरूप डायवर्सन नहीं होने तथा विभागीय उदासीनता के कारण इसको इंगित करने वाला बोर्ड नहीं लगने के कारण भी अधिकतर दुर्घटनाएं होती हैं। अगर विभागीय तत्परता हो तो इन दुर्घटनाओं को बचाया जा सकता है। West Champaran news

By DharmendraEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 04:54 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 04:54 PM (IST)
पश्चिम चंपारण में कहीं डायवर्सन तो कहीं अंधा मोड़ होने से हो रहीं दुर्घटनाएं
अब तक हजारों दुर्घटना का गवाह दोन नहर का सायफन। जागरण
पश्चिम चंपारण, जेएनएन। एक समय था कराहतीं सड़कें बिहार की पहचान मानी जाती थी। विगत दिनों व्यवस्था बदली तो सड़कों की स्थिति में भी सुधार हुआ। लेकिन, अभी भी बहुत खामियां हैं। जहां सुधार की आवश्यकता है। बगहा व वाल्मीकिनगर से तीन नहरें गुजरी हैं। जिसमें कई जगहों पर सायफन बनाए गए हैं। वहां पर दुर्घटनाएं हमेशा होती  हैं। वहां अंधा मोड़ है। लेकिन उससे पहले सड़क पर उसको इंगित करने वाला कोई बोर्ड नहीं लगाया गया है। यही स्थिति बगहा वाल्मीकिनगर मुख्य सड़क में भी कई जगह है। जैसे चमइनवां मोड़ के पास अंधा मोड़ है। जहां अक्सर यहां दुर्घटनाएं होती हैं। एनएच या अन्य सड़कों पर संवेदकों द्वारा कई जगहों पर डायवर्सन बना दिया गया है। लेकिन, मानक के अनुरूप डायवर्सन नहीं होने तथा विभागीय उदासीनता के कारण इसको इंगित करने वाला बोर्ड नहीं लगने के कारण भी अधिकतर दुर्घटनाएं होती हैं। अगर विभागीय तत्परता हो तो इन दुर्घटनाओं को बचाया जा सकता है। 
सड़क में खामी  
मुख्य सड़कों पर कई जगह बड़े- बड़े गड्ढे बन गए हैं। जिसकी जानकारी वाहन चालकों को नहीं है और अपनी गति में आते हुए एकाएक या तो उसमें चले जाते हैं या उससे बचने के लिए ब्रेक लगाते हैं।  जिससे दुर्घटना हो जाती है। वहीं कुहासा या अंधेरा में अंधा मोड़ व डायवर्सन की जानकारी बाहरी वाहनों के चालकों नहीं होने के कारण भी बहुत सी दुर्घटनाएं होती हैं। बोर्ड लगाकर इन घटनाओं से भी बचा जा सकता है। 
इन जगहों पर आए दिन होती हैं दुर्घटनाएं 
क्षेत्र में ऐसे तमाम स्थल हैं। जहां आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं। जैसे वाल्मीकिनगर रोड में चमइनवा मोड़, विभिन्न नहरों के सायफन, सेमरा रोड में महुअर मोड़, झनकौल मोड़ व एनएच में पिपरिया आदि जगहों पर बने बेतरतीब डायवर्सन से दिन दुर्घटनाएं होती रहते हैं। एनएच जेई मो. शमशाद अंसारी का कहना है क‍ि भारत सरकार की ओर से निर्देश मिलता है। उसके बाद ही इस पर काम किया जाता है। अभी वर्तमान में इससे संबंधित कोई निर्देश नहीं मिला है। 
 

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