जाम विकराल समस्या, सिविक सेंस की कमी से स्थिति और भयावह
शहर में पेयजल व साफ-सफाई की समुचित व्यवस्था नहीं होने से बढ़ीं मुश्किलें। उठी एसकेएमसीएच को एम्स का दर्जा देने और पताही हवाई अड्डे को चालू करने की मांग।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। वर्तमान में लोग अपने अधिकारों के प्रति सजग तो हुए हैं, लेकिन कर्तव्य को भूल जा रहे हैं। साफ-सफाई, शौचालय, सड़क, नाला, पेयजल की कमी एक बड़ी समस्या है, लेकिन सिविक सेंस ने तो बेड़ा ही गर्क कर रखा है। शहर के लोगों को यह पता ही नहीं है कि कौन सी चीज कहां पर रखनी चाहिए? अपने घर और देश को कैसे स्वच्छ रखना है? ब्रह्मपुरा मेन रोड के लोगों को इस बात का बड़ा मलाल है कि जितनी संवेदनहीनता, असहिष्णुता और बर्बरता आज है उतनी पहले नहीं थी।
आलोक कुमार व रंजन कुमार सिविक सेंस पर जोर देते हैं। अधिवक्ता धीरज कुमार के मुताबिक एसकेएमसीएच को एम्स का दर्जा मिलना चाहिए। पताही हवाई अड्डा चालू होना चाहिए। नेहा उपाध्याय व निक्की कुमारी कहती हैं कि शहर को जाम से मुक्ति मिले तो आम आदमी को राहत हो। किड्स प्ले स्कूल, ब्रह्मपुरा में दैनिक जागरण की ओर से सोमवार को आयोजित 'चुनावी चौपालÓ में ये बातें सामने आईं।
इन्होंने लिया भाग
डॉ. एसआर चतुर्वेदी, इंदु चतुर्वेदी, शशिभूषण त्रिवेदी, रविरंजन कुमार, नेहा उपाध्याय, निक्की कुमारी, आलोक कुमार, विनोद कुमार सिंह, धीरज कुमार, राजू कुमार, सीता देवी, सोमरिया देवी आदि।
तकनीकी शिक्षा सुविधा का घोर अभाव
एलएस कॉलेज के बर्सर डॉ. एसआर चतुर्वेदी का कहना है कि जल जमाव व ट्रैफिक जाम इस शहर की बड़ी समस्या है। इससे आम लोगों का सीधा जुड़ाव है। राष्ट्रीय मुद्दों के शोर में स्थानीय मुद्दे गौण हैं। उच्च शिक्षा में तकनीकी शिक्षा की बेहतर सुविधा का यहां घोर अभाव है। आम जनता की पहुंच के बाहर की बात है। दूसरी ओर हम सामाजिक हित के बजाय व्यक्तिगत लाभ को अधिक महत्व देने लगे हैं। ऐसी समस्याओं के पीछे हमारी संवेदनहीनता भी एक बड़ी वजह है।
इस बारे में सीनियर सिटीजन शशिभूषण त्रिवेदी कहते हैं कि शहरवासी ट्रैफिक जाम, जलजमाव, प्रदूषण, सफाई, नाले जैसी समस्याओं से शहरवासी जूझ रहे हैं। गंदगी से ही मच्छर पनपता है और इसकी रोकथाम के लिए कोई ध्यान नहीं देता। सिर्फ दोषारोपण नहीं, अधिकार के साथ कर्तव्य की बात भी हो।
ब्रह्मपुरा किड्स प्ले स्कूल निदेशक इंदु चतुर्वेदी ने बताया कि महिला सुरक्षा और महिला सशक्तीकरण का मुद्दा सिर्फ चुनावों के वक्त ही याद आता है। चुनाव जीतने के बाद कोई भी दल महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं होता। शहर के लिए यह शर्म की बात है कि लोगों को पानी खरीदकर पीना पड़ता है।