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सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होकर भी उपेक्षित है रक्सौल एयरपोर्ट, जानिए इसका वर्तमान हाल

भारत-चीन के बीच उत्पन्न तनाव के मद्देनजर 1960 में किया गया था निर्माण। 1962 तक योजनाबद्ध तरीके से इसका आधुनिकीकरण व रख-रखाव चलता रहा।

By Murari KumarEdited By: Published: Mon, 17 Aug 2020 03:12 PM (IST)Updated: Mon, 17 Aug 2020 05:13 PM (IST)
सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होकर भी उपेक्षित है रक्सौल एयरपोर्ट, जानिए इसका वर्तमान हाल
सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होकर भी उपेक्षित है रक्सौल एयरपोर्ट, जानिए इसका वर्तमान हाल

पूर्वी चंपारण [विजय कुमार गिरि]। इंडो-नेपाल बार्डर पर स्थित रक्सौल अंतरराष्ट्रीय महत्व का शहर है। यह सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इसी उद्देश्य से यहां एयरपोर्ट बनाया गया था। वर्तमान में भारत-चीन और भारत-नेपाल के बीच जारी तनाव के मद्देनजर इसका काफी महत्व है। बावजूद अपेक्षित विकास नहीं हो सका है। यह करीब 45 वर्षों से उपेक्षित पड़ा है। इस अवधि में कई बार एयरपोर्ट के जीर्णोद्धार व आधुनिकीकरण के लिए सरकारी स्तर पर घोषणाएं की गईं, लेकिन नतीजा शून्य रहा। 

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   यदि भारत-चीन के बीच युद्ध हुआ तो इस एयरपोर्ट की आवश्यकता पड़ सकती है। वहीं, नेपाल से तल्ख रिश्ते के बाद रक्सौल एयरपोर्ट का कायाकल्प किया जाना आवश्यक हो गया है। फिलवक्त, भारत सरकार ने देश के सौ एयरपोर्ट को शुरू करने की योजना तैयार की है, जिसमें बिहार के दो एयरपोर्ट हैं। रक्सौल उनमें एक है। यह सरकार की ओर से दुर्गम क्षेत्रों को हवाई सेवा से जोड़ने की कोशिश है। यहां से कम कीमत पर हवाई यात्रा व जहाज कंपनियों को बेहतर सुविधाएं देने का निर्णय लिया गया है। अनुदान की राशि, रख-रखाव व सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी नियम बनाए गए हैं। अंतरराष्ट्रीय महत्व के शहर रक्सौल को हवाई सेवा से जोड़ने के लिए पिछले एक दशक से जोड़-तोड़ चल रहा है। इस एयरपोर्ट का चयन सरकारी योजना में होने के बाद सीमाई क्षेत्र के लोगों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। 

सरकार की यह है योजना 

दुर्गम क्षेत्रों को जोड़ने के लिए शुरू की गई इस योजना में काफी सुविधाएं कंपनियों मिलेंगी। तेल खर्च पर से टैक्स हटेगा, कर्मचारियों को रात्रि विश्राम, रनवे टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स, लैंडिंग व पार्किंग टैक्स आदि में छूट मिलेगी। इसके लिए सरकार पांच से 10 वर्षों तक अनुदान देगी, जिससे सस्ते दर पर बेहतर सेवा दुर्गम क्षेत्र के लोगों को मिल सके। 

एयरपोर्ट को आधुनिक बनाने की तैयारी

सरकार ने जिन सौ एयरपोर्ट को शुरू करने की सूची तैयार की है। उसमें रक्सौल एयरपोर्ट 89 तथा मजुफ्फरपुर 69 नंबर पर है। सीमावर्ती एयरपोर्ट का जीर्णोद्धार कर आधुनिक बनाए जाने की भी योजना है। हाल ही में चारदीवारी बनाकर इस एयरपोर्ट को सुरक्षित किया गया है। 

वर्तमान में एसएसबी बटालियन

रक्सौल प्रखंड की पनटोका पंचायत के सीमावर्ती हरैया गांव में स्थित सिविल एविएशन का एयरपोर्ट सुरक्षा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। यह करीब दो किलोमीटर लंबा व एक किलोमीटर चौड़ा है। वर्तमान में इस एयरपोर्ट परिसर में एसएसबी 13वीं बटालियन का बीओपी संचालित है। 

कब हुआ था निर्माण 

चंपारण गजेटियर के अनुसार भारत-चीन के बीच उत्पन्न तनाव के मद्देनजर 1960 में इसका निर्माण किया गया था। 1962 तक योजनाबद्ध तरीके से इसका आधुनिकीकरण व रख-रखाव चलता रहा। 1968 में रक्सौल, मुजफ्फरपुर व भागलपुर के लिए कलिंग एयर सर्विस शुरू हुआ। इसके बाद से सरकार ने राजस्व व सुरक्षा की दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण एयरपोर्ट को नजर अंदाज कर दिया, जिससे 70 के दशक के बाद से उड़ानें बंद हो गईं। इस बीच नेता-अभिनेता चुनावी सभा व आमसभा के लिए एयरपोर्ट पर आते रहे। अंतिम बार 5 अगस्त 2011 को रक्सौल एयरपोर्ट पर एयर एंबुलेंस उतरी थी। 

किसी समय दूसरा बड़ा एयरपोर्ट था 

भारत-चीन युद्ध के उपरांत फील्ड मार्शल केएम करियप्पा ने सीमा क्षेत्र का दौरा किया था। जिसमें युद्ध के दौरान सैन्य सामग्री व हवाई हमले के लिए सबसे बेहतर स्थल के रूप में इसका चयन किया था। सरकार ने 60 के दशक में दमदम एयरपोर्ट के बाद देश के दूसरे बड़े एयरपोर्ट का निर्माण रक्सौल में कराया, परंतु सीमा क्षेत्र का विकास व एयरपोर्ट का आधुनिकीकरण नहीं किया गया। जबकि, पड़ोसी देश नेपाल ने चीन के सहयोग से सीमावर्ती पर्सा, बारा, रौतहट, नवलपरासी आदि जिलाें में आधा दर्जन अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का निर्माण कर उड़ान शुरू कर दी है।


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