B. R. Ambedkar Bihar University: अनुदान व कॉलेज में व्याप्त अनियमितता के खिलाफ विवि में प्रदर्शन, नारेबाजी
B. R. Ambedkar Bihar University अनुदान ( grants ) व कॉलेज में व्याप्त अनियमितता (irregularities ) मामले में उच्चस्तरीय जांच होने तक सचिव ने प्राचार्य को कर दिया विरमित। प्राचार्य का आरोप सचिव को अधिकार नहीं अवैधानिक तरीके से हटाया।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। रामश्रेष्ठ सिंह कॉलेज चोचहां के शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों ने गुरुवार को विवि परिसर में कुलपति आवास के सामने प्रदर्शन किया। इस दौरान जमकर नारेबाजी भी की। कर्मचारियों और शिक्षकों का कहना था कि सचिव की ओर से शिक्षकों और छात्र-छात्राओं के हित में कोई पहल नहीं की गई है। इस कारण वर्ष 2019-20 सत्र के विद्यार्थियों का पंजीयन भी नहीं हो सका है और शिक्षक अनुदान की राशि से भी वंचित हो गए। कर्मचारियों ने ईमानदार प्रतिनिधि के साथ ही तदर्थ समिति का गठन करने की मांग की। साथ ही कुलपति को ज्ञापन भी सौंपा। कहा कि कनीय शिक्षक को प्राचार्य का पद सौंपा गया है, जबकि बिपिन बिहारी सिंह को सेवा अवधि समाप्त होने से पहले ही विरमित कर दिया गया।
इसके लिए सचिव को पद का गलत और अवैधानिक तरीके से उपयोग करने आरोप लगाया। इधर, कॉलेज के निवर्तमान प्राचार्य बिपिन बिहारी सिंह ने भी कुलपति को आवेदन दिया है। इसमें उन्होंने कहा है कि उनके लगातार अनुरोध के बाद भी सचिव ने समिति की बैठक नहीं बुलाई। इस कारण कॉलेज की व्यवस्था बद से बदतर हो गई। इसके बाद अचानक 24 अगस्त को पत्र जारी कर सचिव डॉ.ओपी सिंह ने प्राचार्य पद से विरमित कर दिया। आरोप लगाया है कि समिति के सचिव को प्राचार्य को विरमित करने का अधिकार नहीं है। ऐसे में अवैधानिक और आपराधिक कार्य करने का आरोप लगाया है। सचिव के इस आदेश को निरस्त करने की मांग की है।
इस बारे में चोचहां आरएसएएस कॉलेज के सचिव डॉ.ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि कॉलेज में विभिन्न मद में भुगतान व अन्य मदों के खर्च का ब्योरा समेत अन्य जरूरी कागजात की मांग की गई। जो प्राचार्य ने उपलब्ध नहीं कराया। इसके बाद आंतरिक जांच में गड़बड़ी उजागर हुई है। इसी आलोक में कुलपति को पत्र लिखकर प्राचार्य के खिलाफ वित्तीय अनियमितता और अन्य गड़बडिय़ों की उच्च स्तरीय जांच कराने की अनुशंसा की गई है। कॉलेज के खाता को अकेले संचालित करने का मामला सामने आया है। इसी को देखते हुए जांच होने तक प्राचार्य को विरमित करते हुए दूसरे शिक्षक को प्राचार्य का प्रभार दिया गया है। जांच के बाद मामला स्पष्ट हो जाएगा।