मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल के पुराने महिला वार्ड में अब होगा प्रसव, जानें बदली व्यवस्था के बारे में
सिविल सर्जन सुरेंद्र प्रसाद चौधरी ने कहा कि एक ही भवन में कोरोना वार्ड और जच्चा व बच्चा को नहीं रखा जा सकता है। संक्रमण फैलने की संभावना बनी रहेगी। इसलिए पुराने महिला वार्ड को फिर से गर्भवती महिलाओं के प्रसव के लिए तैयार किया गया है।
मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। सदर अस्पताल में अब कोरोना मरीज का इलाज होगा। इसके लिए अब वहां पर सामान्य मरीज के इलाज की व्यवस्था बदलेगी। महिलाओं के लिए बने एमसीएच भवन से एक बार फिर प्रसूता को पुराने वार्ड में शिफ्ट किया जाएगा। अभी पुराने वार्ड में टीकाकरण चल रहा है। उसको भी वहां से हटाया जाएगा। टीकाकरण डायरिया वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। बरामदे पर रजिस्ट्रेशन किया जाएगा और वार्ड के अंदर वैक्सीन दी जाएगी। यह निर्णय एमसीएच मातृ शिशु अस्पताल में बनाये जा रहे कोरोना वार्ड के मद्देनजर ली गई है।
सिविल सर्जन सुरेंद्र प्रसाद चौधरी ने कहा कि एक ही भवन में कोरोना वार्ड और जच्चा व बच्चा को नहीं रखा जा सकता है। संक्रमण फैलने की संभावना बनी रहेगी। इसलिए पुराने महिला वार्ड को फिर से गर्भवती महिलाओं के प्रसव के लिए तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि डायरिया वार्ड अभी खाली था। इसलिए वहां कोरोना वैक्सीनेशन कार्य को शिफ्ट कर दिया गया। वार्ड के अधिक जगह भी है और बैठने के लिए व्यवस्था भी की जा सकती है। दो जगहों पर रजिस्ट्रेशन काउंटर बनाया गया है। 18 से अधिक उम्र वाले के लिए ओपीडी के सामने कैंपस में काउंटर बनाए गए हैं। इसके बाद 45 से अधिक उम्र वाले के लिए डायरिया वार्ड के बरामदे पर ही किया गया है। टीकाकरण व इलाज में कठिनाई नहीं हो, इसके लिए यह कदम उठाया गया है।
एसकेएमसीएच में भर्ती एक बच्चे में एईएस की पुष्टि
मुजफ्फरपुर : सोमवार को एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड में चमकी बुखार तीन पीडि़त बच्चों को भर्ती कराया गया। पैथोलॉजी जांच रिपोर्ट आने के बाद एक बच्चे में एईएस की पुष्टि की गई। पीडि़त मीनापुर थाना क्षेत्र के राघोपुर की दो वर्षीय निधि कुमारी बताई गई है। अस्पताल में डॉ. जेपी मंडल की यूनिट में भर्ती कर इलाज की जा रही है। बच्ची का शुगर लेवल कम था। शिशु रोग विभागाध्यक्ष सह उपाधीक्षक डॉ. गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि भर्ती बच्चों की प्रोटोकॉल के तहत इलाज की जा रही है। एसकेएमसीएच में एईएस पीडि़त 13 बच्चों को इस वर्ष भर्ती किया गया जिसमें दो बच्चों की मौत हो गई। बाकी इलाजरत बच्चे स्वस्थ होकर घर लौट गए।