प्रवासियों को काम देने की घोषणा हवा-हवाई, गांव में नहीं मिला काम तो परदेस जाने लगे मजदूर
02 माह में बचाकर लाए पैसे भी हो गए खत्म अब परिवार के भरण-पोषण की भी समस्या। सूद पर पैसा लेकर आरक्षित टिकट खरीदने को आए।
मुजफ्फरपुर,[पंकज कुमार]। आर्थिक तंगी प्रवासियों को परदेस लौटने के लिए विवश कर रही है। परिवार को छोड़कर अब बाहर जाने का मन नहीं हो रहा है, लेकिन मजबूरी है। गांव में काम मिल नहीं रहा। वहीं दो माह में जो पैसा बचाकर लाए थे वह भी खर्च हो गया। अब परिवार के भरण-पोषण में भी दिक्कत हो रही है। सूद पर पैसा लेकर सूरत का टिकट लेने आए वह भी नहीं मिला। बताया गया कि अभी सूरत के लिए कोई ट्रेन नहीं चल रही है।
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आर्थिक तंगी के कारण जाना मजबूरी
जंक्शन पर आरक्षित काउंटर से बुधवार को टिकट लेने आए बोचहां के कफैन चौधरी के पास रहनेवाले रोशन कुमार ने कुछ ऐसी ही पीड़ा बयां की। उन्होंने बताया कि सूरत में कपड़ा फैक्ट्री में काम करते थे। वहां जितने पैसे मिलते परिवार चल जाता है। छह माह के बाद मार्च में घर आए थे। परिवार के लिए कुछ पैसा भी बचाकर लाए थे। 27 मार्च को जाना था। टिकट भी ले लिया था, लेकिन लॉकडाउन से फंस गए। घर से निकलना मुश्किल हो गया। दो माह में जमा पूंजी खत्म हो गई। परिवार भी बड़ा है। पिता भी बाहर कमाते हैं। वह भी घर आ गए हैं। इससे आर्थिक तंगी हो गई। काम के लिए भटक रहे हैं।
कोई सुनने को तैयार नहीं
मुखिया से लेकर सरकारी कर्मियों के चक्कर काटकर थक गए। कोई सुनने को तैयार नहीं है। गांव में सौ मजदूर वापस जाने के लिए तैयार हैं। इसी गांव के जीवन कुमार ने कहा कि सूरत में फल-सब्जी बेचकर अच्छी कमाई हो जाती थी। लॉकडाउन होने से पहले ही गांव आ गए थे। अब पैसा भी खत्म हो गया। सूरत जाना है। आरक्षित टिकट लेने के लिए सूद पर पैसा लेकर आए हैं।
सूरत के लिए अभी कोई ट्रेन नहीं
काउंटर कर्मी ने सूरत जाने वाली टे्रन नहीं होने की बात कहकर लाइन से बाहर कर दिया। सूरत के लिए टिकट भी नहीं मिला और गांव में भी काम नहीं है। खेत में भर दिन काम करने पर सौ से दो सौ रुपये मिलते हैं। उससे पेट भरने वाला नहीं है। काउंटर पर कर्मियों ने कहा कि सूरत के लिए अभी ट्रेन नहीं होने से टिकट नहीं दिया गया है।