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मुजफ्फरपुर में कोरोना पाजिटिव मरीजों की मौत का होगा आडिट

सिविल सर्जन डा.विनय कुमार शर्मा ने बताया कि कमेटी यह देखेगी की पाजिटिव मरीज की मृत्यु गणना ट्रेंड उसे उपलब्ध कराई गई चिकित्सकीय व्यवस्था आदि किस प्रकार दिया गया। मृत्यु दर को कम करने के लिए राज्य स्तरीय कमेटी को अपना सुझाव देगी।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 10:35 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 10:35 AM (IST)
मुजफ्फरपुर में कोरोना पाजिटिव मरीजों की मौत का होगा आडिट
सरकार ने जारी की गाइड लाइन, कमेटी का गठन।

मुजफ्फरपुर, जासं। कोरोना मरीज की मौत के कारणों का आडिट होगा। इसके लिए राज्य सरकार के निर्देश पर कमेटी का गठन किया गया है। सिविल सर्जन डा.विनय कुमार शर्मा ने बताया कि कमेटी यह देखेगी की पाजिटिव मरीज की मृत्यु, गणना, ट्रेंड, उसे उपलब्ध कराई गई चिकित्सकीय व्यवस्था आदि किस प्रकार दिया गया। मृत्यु दर को कम करने के लिए राज्य स्तरीय कमेटी को अपना सुझाव देगी। प्रत्येक सोमवार को बैठक कर कोरोना से मौत से जुड़े मामलों की कमेटी समीक्षा कर राज्य मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी जाएगी। 

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कमेटी की यह होगी जवाबदेही

- कोविड-19 के लक्षणों की शुरुआती व आइसोलेशन सुविधा में प्रवेश की तिथि

- आईसीयू में प्रवेश की तिथि

- मरीज को वेंटिलेटर पर रखा गया या नहीं

- अति गंभीर अवस्था, कांटैक्ट इतिहास, 14 दिनों में मरीज की यात्रा इतिहास

- मौत के कारणों की समीक्षा

- मौत के दस प्रतिशत मामलों की रैंडम समीक्षा

इनको मिली ऑडिट की जवाबदेही

- सिविल सर्जन- अध्यक्ष

- डॉ संजय गुप्ता, फिजीशियन- सदस्य सचिव

- जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी- सचिव -एपीडियोमालॉजिस्ट-सदस्य

- केयर के प्रतिनिधि सौरव तिवारी- सदस्य चुने गए हंै।  

हर बुखार कोरोना नहीं फिर भी रखें सावधानी, बिना मास्क न निकले बाहर

मुजफ्फरपुर : बदलते मौसम की वजह से अधिकतर लोगों को खांसी, जुकाम, फ्लू और एलर्जी का भी सामना करना पड़ रहा है। ग्लैक्सी हास्पीटल के संचालक डा. मो. जाहिद आरफी ने कहा कि बीमारी का अंतर समझना जरूरी है। कोरोना वायरस में सूखी खांसी होती है। वहीं सर्दी और फ्लू में खांसी के साथ बलगम भी निकलता है। मौसमी एलर्जी होने पर कभी-कभार ही खांसी होती है। कोरोना और फ्लू में मांसपेशियों में दर्द और थकान रहता है, जबकि सर्दी में मांसपेशियों में दर्द कभी-कभी हो सकता है। मौसमी एलर्जी होने पर मांसपेशियों में दर्द नहीं होता, जबकि थकान बनी रहती हैं। कोरोना होने पर बुखार जैसे लक्षण देखने को मिलता है। वही मौसमी एलर्जी होने पर बुखार नहीं होता है। सामान्य सर्दी और फ्लू की स्थिति में कभी-कभी बुखार हो सकता है। उसी तरह से कोरोना और सामान्य सर्दी दोनों में ही गले में खरास, नाक बहना और छींकना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। वही मौसमी एलर्जी और फ्लू में भी छींकना और नाक बहने की समस्या होती ही है।

कोरोना में कभी-कभी डायरिया, उल्टी और बुखार भी होता है। लेकिन सामान्य सर्दी और मौसमी एलर्जी होने पर डायरिया और उल्टी जैसे लक्षण देखने को नहीं मिलते हैं। फ्लू में बच्चों में डायरिया और उल्टी के लक्षण देखने को मिल सकते हैं। एक बड़ा अंतर यह है कि कोरोना में सूंघने की शक्ति और खाने का स्वाद भी नहीं आता है। लेकिन मौसमी एलर्जी, सामान्य सर्दी होने पर ऐसा नहीं होता है। अगर कोरोना से बचना है तो टीकाकरण के साथ मास्क लगाना, बार-बार हाथ को साफ करना तथा दो गज दूरी नियम का पालन करना जरूरी है। बेवजह भीड़ वाले जगह पर नहीं जाए। सुबह-शाम गर्म पानी का सेवन करें तथा पौष्टिक आहार लें।


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