देश के निर्माण और स्वतंत्रता संग्राम में दिनकर ने स्वयं को कर दिया था समर्पित
एलएस कॉलेज स्थित पार्क में रामधारी सिंह दिनकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर शनिवार को 47 वीं पुण्यतिथि पर याद किया गया।
मुजफ्फरपुर : एलएस कॉलेज स्थित पार्क में रामधारी सिंह दिनकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर शनिवार को 47 वीं पुण्यतिथि पर याद किया गया। प्राचार्य डॉ.ओम प्रकाश राय ने दिनकर की कविता 'आग की भीख'' कि कुछ पंक्तियां सुनाते हुए कहा कि बेचैन हैं हवाएं, सब और बेकली है, कोई नहीं बताता किश्ती किधर चली है। मंझधार है, भंवर है या पास किनारा, यह नाश आ रहा है या सौभाग्य का सितारा..। कहा कि राष्ट्रकवि दिनकर आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। दिनकर उर्दू, संस्कृत, मैथिली और अंग्रेजी भाषा के भी जानकार थे। वे राष्ट्रीय और सामाजिक चेतना के कवि थे। यशस्वी भारतीय परंपरा के अनमोल रत्न हैं जिन्होंने अपनी कालजयी रचनाओं के माध्यम से देश निर्माण और स्वतंत्रता के संघर्ष में स्वयं को पूरी तरह समर्पित कर दिया था। कलम आज उनकी जय बोल जैसी प्रेरणादायक कविता के प्रणेता दिनकर जितने बड़े ओज, शौर्य, वीर और राष्ट्रवाद के कवि हैं। उतने ही बड़े संवेदना, सुकुमारता, प्रेम और सौंदर्य के कवि के रूप में भी ख्याति पाई। दिनकर ने अपनी रचनाओं में संवेदना का बड़ा ही मर्म चित्रण किया है। दिनकर की लेखनी में अगर हर्ष है तो पीड़ा भी। खुशी है तो वेदना भी। निराशा है तो आशा की उम्मीद भी। निश्चित रूप से वर्तमान परिवेश में दिनकर की कविताओं के माध्यम से सामाजिक चेतना का अलख जगाया जा सकता है। मौके पर डॉ.नवीन कुमार, डॉ.ललित किशोर, डॉ.अफरोज, ऋषि कुमार, पुस्तकालय अध्यक्ष मनोज कुमार, विश्वविद्यालय थाना प्रभारी सहित अतिथि प्राध्यापक व कर्मचारी उपस्थित थे।