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दरभंगा: पंचायत की राजनीति सेवा के लिए, देवी की प्रतिमा का निर्माण रोजगार के लिए

Darbhanga news दरभंगा ज‍िले के स‍िंहवाड़ा प्रखंड की माधोपुर बस्तवाड़ा पंचायत के उप मुखिया बने नजीर देवी सरस्वती की प्रतिमा निर्माण संग दे रहे परंपरागत पेशे के संरक्षण का संदेश उद्देश्य यह है कि समाज में सकारात्मक संदेश जाए।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 26 Jan 2022 09:37 PM (IST)Updated: Wed, 26 Jan 2022 09:37 PM (IST)
दरभंगा: पंचायत की राजनीति सेवा के लिए, देवी की प्रतिमा का निर्माण रोजगार के लिए
स‍िंहवाडा के माधोपुर में मूर्ति निर्माण करते उप मुखिया। फोटो-जागरण

दरभंगा,स‍िंहवाड़ा {सदरे आलम}। कोरोना संक्रमण के दौर में रोजगार की किल्लत के बीच पंचायत की राजनीति के साथ-साथ विभिन्न अवसरों पर देवी-देवताओं की प्रतिमा का निर्माण कर स‍िंहवाड़ा प्रखंड की माधोपुर बस्तवाड़ा पंचायत के उप मुखिया संतोष पंडित परंपरागत पेशे को जीवंतता दे रहे हैं। उद्देश्य यह है कि समाज में सकारात्मक संदेश जाए और वो लोग जिनका रोजगार कोरोना में छीन रहा है वो अपने परंपरागत पेशे को अपनाकर आगे बढ़ें। संतोष फिलहाल अपने माता-पिता व परिवार के अन्य सदस्यों के साथ आगामी पांच फरवरी को बसंत पंचमी पर होनेवाली देवी सरस्वती की पूजा के लिए प्रतिमा बनाने में लगे हैं।

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कहते हैं कि उप मुखिया का पद सामाजिक प्रतिष्ठा का है। रोजगार के लिए मूर्तिकार का काम करना है। कोरोना काल में रोजगार घटा है। इस बीच माता सरस्वती की प्रतिमा बना रहे है। सोच यह कि वक्त इजाजत देगा तो पूजा के वक्त प्रतिमा निर्माण करनेवाले हाथ अपना परिवार चलाने के लिए धनार्जन कर सकेंगे। इस बार काफी अधिक संख्या में मूर्ति बनाने का आर्डर कई शैक्षणिक व निजी संस्थानों से मिला है। पंचायत की राजनीति सेवा के लिए है। मेरे लिए यह जरूरी है कि लोगों को रोजगार के प्रेरित करूं और उन्हें परंपरागत पेशे से जोड़कर रखूं। ताकि सेवा के बीच कमाई न आए।

दो साल के कोरोना ने दिया आर्थिक नुकसान

इलाके के मूर्तिकार संजीव पंडित, अजय पंडित, सत्यनारायण पंडित सुधीर पंडित आदि बताते हैं कि पहले विभिन्न अवसरों पर मूर्ति बनाकर अच्छी खासी कमाई हो जाती थी,लेकिन पिछले दो साल से कोरोना ने हमें आर्थिक रूप से कमजोर कर दिया है। कुम्हारों का जीवन यापन कैसे चलेगा यह ङ्क्षचता है। ऐसे में जबतक नए रोजगार का सृजन नहीं हो जाता तबतक इसे नहीं छोड़ा दा सकता। हमारे उप मुखिया लगातार हमें रोजगार के लिए प्रेरित करते हैं।

आधुनिक युग में भी मिट्टी का मोल

आधुनिक युग में विद्या की देवी माता सरस्वती की प्रतिमा बनाने की तकनीक में बदलाव हुआ है। अब कई लोग इंटरनेट से तस्वीर निकाल कर प्रतिमा बनाने का आर्डर देते हैं। बावजूद इसके परंपरागत मिट्टी का प्रयोग मूर्तिकार करते हैं। 65 वर्षीय माधोपुर निवासी कुम्हार राय जी पंडित पुराने दिनों को याद कर कहते हैं कि पांच दशकों से प्रतिमा बनाने का काम करते हैं। हमारे यहां प्रतिमा निर्माण में मिट्टी का मोल है। 20 साल पहले एक सौ रुपये में माता सरस्वती की प्रतिमा बन जाती थी। आज इसकी कीमत हजार से लेकर दस हजार तक है।

मूर्ति निर्माण में तीन तरह की मिट्टी का उपयोग

माता सरस्वती की चेहरे के लिए गंगा नदी से निकाली गई मिट्टी का प्रयोग होता है। इससे पूर्णता आती है। केवल मिट्टी और सफेद मिट्टी का प्रयोग किया जाता है।


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