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27 वर्षों बाद भी नहीं बन सका बांध, बाढ़ से बर्बादी को यहां झेलते रहने की विवशता

1993 में देवापुर बेलवा तटबंध को बागमती नदी ने ध्वस्त कर दिया। प्रतिवर्ष इस क्षेत्र के लिए अभिशाप के रूप में बागमती और लालबकेया जान-माल को क्षति पहुंचा रही है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 22 Aug 2020 09:59 AM (IST)Updated: Sat, 22 Aug 2020 09:59 AM (IST)
27 वर्षों बाद भी नहीं बन सका बांध, बाढ़ से बर्बादी को यहां झेलते रहने की विवशता
27 वर्षों बाद भी नहीं बन सका बांध, बाढ़ से बर्बादी को यहां झेलते रहने की विवशता

पूर्वी चंपारण, [नीरज कुमार]। बेबस लोगों की बाढ़ में होती मौतें, ध्वस्त होते मकान, डूबती जिंदगी भर की कमाई , जिंदगी बचाने की जद्दोजहद, भूखे पेट की तड़प व्याकुल कर रही है। कभी पूर्वी चंपारण के पताही प्रखंड की 15 पंचायतें कृषि के लिए वरदान साबित हुआ करतीं थीं। लेकिन अब हर साल आने वाली बाढ़ ने सबकुछ छीन लिया। फसल तो बर्बाद होती ही है यहां बाढ़ से लोगों की मौतें भी होती हैं। सरकार ने बागमती और लालबकेया नदी की तबाही को देखते हुए आजादी के बाद देवापुर, बेलवा, खोडीपाकड, बांध का निर्माण कराया। तत्पश्चात इस क्षेत्र के लोगों के लिए कुछ वर्षों तक बागमती और लालबकेया नदी किसानों के लिए वरदान के रूप में काम करने लगी। इसी बीच 1993 में देवापुर, बेलवा, तटबंध को बागमती नदी ने ध्वस्त कर दिया। तब से अबतक सरकार ने इस दिशा में लोगों को अपने रहमो- करमो पर छोड़ दिया है। अब तक इस दिशा में सरकार समुचित पहल नहीं कर सकी है। जिससे प्रतिवर्ष इस क्षेत्र के लिए अभिशाप के रूप में बागमती और लालबकेया अपने कहर से जान-माल की क्षति पहुंचा रही है। 27 वर्ष बाद भी सरकार इस क्षेत्र में कोई कदम नहीं उठा सकी है।

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अधर में लटका बांध का निर्माण

तत्कालीन बिहार सरकार के केंद्रीय और पीएचईडी मंत्री रघुनाथ झा ने नदी के ध्वस्त तटबंध पर सड़क और पुल निर्माण की दिशा में पहल की थी और पुल के पांच स्तंभों का निर्माण भी हुआ, परंतु निर्माण अधर में लटक गया। तत्पश्चात वर्ष 2016 में सरकार ने उक्त नदी के ध्वस्त तटबंध पर स्लूस गेट निर्माण की आधारशिला रखी और निर्माण कार्य शुरू हुआ। इस बीच मंथर गति से चल रहे कार्य को 13 अगस्त 2017 को आई बाढ़ ने पुल कंस्ट्रक्शन को क्षति पहुंचाई और स्लूस गेट का आधा- अधूरा निर्माण छोड़ एजेंसी भाग खड़ी हुई। आज वह योजना भी अधर में लटकी है। तब से इस क्षेत्र के लोगों को समय-समय पर बागमती और लालबकेया नदी अपना रौद्र रूप दिखा कर जान-माल और फसल की बर्बादी करती रही है। जब-जब नेपाल की तराई और पूर्वी क्षेत्र बारिश होती है बाढ़ विकराल रूप ले लेती है।

बाढ़ मचाती व्यापक तबाही

सेवानिवृत्त शिक्षक श्री नारायण शर्मा बताते हैं कि वर्ष 2017 में आई बाढ़ ने पहले के सभी रिकॉर्ड को ध्वस्त किया था । फिर 10 जुलाई 2019 ने पहले की बाढ़ के सारे रिकार्ड को ध्वस्त कर दिया। प्रखंड क्षेत्र के देवापुर, जिहुली, पदुमकेर, जरदाहा गम्हरिया गुजरौल गोनाही, सुगापिपर, कोदरिया, बेतैना, खुटवाना, नोनफरबा, पताही पूर्वी, मनोरथा भितघरवा, सहित 10 पंचायतों में बाढ़ का पानी लोगों के घरों में घुस गया। खुटवाना में इस बार की बाढ़ ने दो सगे भाइयों की जान ले ली। हजारों एकड़ में लगी धान की फसल बर्बाद हो गई। कई लोगों के आशियाने उजड़ गए। 


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