दाता के दरबार आज चादर लेकर पहुंचेंगे अधिकारी
मुजफ्फरपुर। हजरत दाता असगर अली खान उर्फ दाता कंबल शाह के सालाना उर्स के मौके पर बुधवार को सरकारी चा
मुजफ्फरपुर। हजरत दाता असगर अली खान उर्फ दाता कंबल शाह के सालाना उर्स के मौके पर बुधवार को सरकारी चादरपोशी की रस्म अदा की जाएगी। एसएसपी के नेतृत्व में नगर थाने से दोपहर में चादर जुलूस निकाली जाएगी। संध्या छह बज की 10 मिनट पर चादपोशी होगी। जिसे प्रशासन एवं पुलिस के वरीय अधिकारी शामिल होंगे। वहीं सेंट्रल जेल प्रशासन एवं नगर निगम की तरफ से भी चादरपोशी की जाएगी।
1903 से शुरु हुई सरकारी चादरपोशी की परंपरा
पुलिस कप्तान के नेतृत्व में होने वाली सरकारी चादरपोशी के परंपरा की शुरुआत 1903 में हुई। उस समय इसके लिए 80 रुपये सरकारी फंड भी स्वीकृत हुई। मान्यता है कि एक बार दाता शाह नगर थाने के समीप सड़क पर पेशाब कर रहे थे। उसी समय अंग्रेज लार्ड की सवारी आ गई। इसको लेकर उसने दाता को डांटा, दाता पर कोड़े चलाए मगर उसका हाथ हवा में ही उठा रह गया। दाता ने कहा कि इंग्लैंड सचिवालय में लगी भीषण आग को मैं बुझा रहा हूं। लार्ड ने जब इसकी हकीकत जाननी चाही तो उसे बताया गया कि पानी का मोटा धार घूम-घूम कर आग बुझा रहा है। पानी कहां से आ रहा है, इसका पता नहीं चल रहा है। बाद में दाता के आर्शीवाद से लार्ड को संतान रत्न की भी प्राप्ति हुई। इसके बाद लार्ड दंपत्ति दाता के मुरीद हो गये। 1903 में दाता के इंतकाल के बाद चेहल्लूम के मौके पर अंग्रेज दंपत्ति ने चादरपोशी की। इसके बाद से यह अनिवार्य कर दिया गया कि जो भी जिले का एसपी होगा, उसकी ओर से उर्स के मौके पर चादरपोशी की जाएगी।
दरभंगा के रहने वाले थे दाता
दाता दरभंगा जिले के भिगो के रहने वाले थे। 1882 में अपनी भांजी बीबी लतीफन व भगीन दामाद के साथ मुजफ्फरपुर आये थे। उनके वालिद का नाम मौलाना नूर अली खां था। 27 दिसम्बर 1903 को गुरुवार हिजरी वर्ष के 7 सव्वाल को दाता का इंतकाल हुआ।