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Samastipur News : साइबर अपराधी ने खाते से उड़ा लिए थे 49 हजार, अब उपभोक्‍ता फोरम ने बैंक पर लगाया जुर्माना

समस्तीपुर में एक सेवानिवृत मंडल अभियंता के भारतीय स्टेट बैंक खाते से साइबर अपराधी ने 49 हजार 497 रुपये निकाल लिए थे। इस मामले में सुनवाई करते हुए जिला उपभोक्ता फोरम ने बैंक प्रबंधक को आठ प्रतिशत ब्याज के साथ राशि जमा करने का आदेश सुनाया है।

By Vinay PankajEdited By: Published: Wed, 03 Feb 2021 06:28 PM (IST)Updated: Wed, 03 Feb 2021 06:28 PM (IST)
Samastipur News : साइबर अपराधी ने खाते से उड़ा लिए थे 49 हजार, अब उपभोक्‍ता फोरम ने बैंक पर लगाया जुर्माना
समस्तीपुर जिला उपभांक्ता फोरम ने एसबीआइ पर लगाया जुर्माना (प्रतीकात्मक तस्वीर)

समस्तीपुर, जागरण संवाददाता। दूरसंचार विभाग से सेवानिवृत्त मंडल अभियंता हरि लाल सहनी के बैंक खाते से साइबर अपराधी के बैंक खाते में राशि ट्रांसफर करने के मामले में जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष सुनील कुमार सिंह ने आदेश जारी किया। इसमें भारतीय स्टेट बैंक मुख्य शाखा के शाखा प्रबंधक पर सेवा में त्रुटि करने की बात कही गई। साथ ही बैंक खाते से निकासी की गई राशि 49 हजार 497 रुपये को 21 अक्टूबर 2017 से भुगतान तिथि तक आठ प्रतिशत ब्याज के साथ जमा करने का निर्देश दिया। वहीं अन्य खर्चों के रूप में 20 हजार रुपये भी जमा करने को कहा है। अध्यक्ष ने आदेशित तिथि से 45 दिनों के अंदर आवेदक के खाता में राशि जमा करने को कहा। इसकी जानकारी आवेदक एवं आयोग को भी देने की बात कही है। निर्धारित अवधि तक आदेश का पालन नहीं होने पर सभी राशि पर वास्तविक भुगतान तक 10 प्रतिशत ब्याज के साथ देना होगा।

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बता दें कि पीडि़त ने बैंक खाता से राशि निकासी मामले में उपभोक्ता फोरम में भारतीय स्टेट बैंक मुख्य शाखा के शाखा प्रबंधक और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया पटना के क्षेत्रीय निदेशक के खिलाफ मामला दायर किया था।

शिकायत करने के बाद भी बैंक प्रशासन ने की सेवा में त्रुटि :

सेवानिवृत मंडल अभियंता भारतीय स्टेट बैंक में पेंशन बचत खाता है। जिसमें से अवैध तरीके से 21 अक्टूबर 2017 को साइबर अपराधी ने पांच बार इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन के माध्यम से 49 हजार 497 रुपया ट्रांसफर कर लिया था। ग्राहक के मोबाइल पर ओटीपी भेज कर निकासी की गई थी। पीओएस के माध्यम से ट्रांसफर होने की स्थिति में ट्रांसफर की गई राशि खाता धारक को दो दिनों के बाद प्राप्त हरेती है। इस बीच भुगतान को बैक द्वारा रोका जा सकता है। इस मामले में साइबर अपराधी द्वारा फ्रॉड किए जाने की लिखित एवं मौखिक शिकायत घटना के एक घंटे के अंदर बैंक को दी थी। शिकायतकर्ता के खाते से किस-किस बैंक एवं खाते में राशि भेजी गई उसका नाम व पता बैंकिंग प्रणाली में दर्ज हो चुका था। इस स्थिति में इंस्टेंट सेट होल्ड लग जाता है। बैंक ने फ्रॉड डिटेक्शन का कार्य नहीं किया। जिससे अपराधी राशि को निकाल कर अपना उपयोग कर लिया। बैंक को दो दिनों के अंदर कार्रवाई करनी थी। बावजूद इसके सेवा में त्रुटि की गई। 


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