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डॉ.रेवती रमण नहीं के निधन से अधूरा रह गया आलोचना का कर्म

प्रसिद्ध समालोचक तथा विश्वविद्यालय हिदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो.रेवती रमण के कोरोना संक्रमण से निधन के बाद मंगलवार को ऑनलाइन शोकसभा हुई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 May 2021 01:25 AM (IST)Updated: Wed, 19 May 2021 01:25 AM (IST)
डॉ.रेवती रमण नहीं के निधन से अधूरा रह गया आलोचना का कर्म
डॉ.रेवती रमण नहीं के निधन से अधूरा रह गया आलोचना का कर्म

मुजफ्फरपुर। प्रसिद्ध समालोचक तथा विश्वविद्यालय हिदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो.रेवती रमण के कोरोना संक्रमण से निधन के बाद मंगलवार को ऑनलाइन शोकसभा हुई। विभागाध्यक्ष प्रो. सतीश कुमार राय ने कहा कि प्रो. रेवती रमण का जाना हिदी साहित्य के एक रत्न का जाना है। वे साहित्य की नई पौध को सींचनेवाले शिक्षक और लेखक थे। 27 वर्षों तक हिदी विभाग में हम दोनों साथ बैठते रहे। कहा कि हमारी जोड़ी को 'हीरा-मोती' कहा जाता था। उनका जाना मेरे जीवन से 'हीरा' का चला जाना है। प्रो.कल्याण कुमार झा ने कहा कि रेवतीजी के असामयिक निधन से हम टूट-से गए हैं। विपरीत परिस्थितियों से संघर्ष करते हुए उन्होंने साहित्य की सेवा की और परिवार को चलाया। प्रो. झा ने प्रस्ताव रखा कि कोरोना-काल के बाद उनकी स्मृति में हर वर्ष व्याख्यान-माला का आयोजन किया जाए। डॉ. राकेश रंजन ने कहा कि वे अत्यंत परिश्रमी, अध्यवसायी, अगाध विद्वत्ता के बावजूद सहज और विनम्र, उदार, वत्सल, मस्तमौला और फक्कड़ थे। डॉ. उज्ज्वल आलोक ने कहा कि छात्र-जीवन से उनकी पुस्तकें पढ़कर अपने साहित्य-बोध को बेहतर करता रहा हूं। डॉ.सुशांत कुमार ने कहा कि उनका जोर हमेशा पढ़ाई-लिखाई पर रहता था। डॉ. संध्या पांडेय ने उनके व्यक्तित्व की सादगी और सरलता की चर्चा की। डॉ. पुष्पेंद्र कुमार ने कहा कि रेवतीजी का आलोचना-कर्म अधूरा रह गया। अभी बहुत लिखना था उन्हें। उनके पास लेखन की कई योजनाएं थीं, जो अधूरी रह गईं। मौके पर विद्यार्थियों ने भी अपनी शोक-संवेदनाएं प्रकट की। शोकसभा में विभाग के प्रो.त्रिविक्रम नारायण सिंह, डॉ. वीरेंद्रनाथ मिश्र के साथ समीक्षा, रेशमी, मीनू, रमेश, पूजा, जूली, ज्योति, काजल, पल्लवी, रूपम, अनामिका सहित सौ से अधिक विद्यार्थी मौजूद थे।

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