कोरोना ने बदल दी रूपरेखा, घर बना स्कूल, कमरों में चल रहे आनलाइन क्लास, समस्तीपुर का मामला
Samastipur news घर-घर आनलाइन शिक्षा-दीक्षा अभिभावकों के घरेलू कार्यों में एक नया काम यह भी जुड़ गया है कि आनलाइन क्लास के समय उन्हें कोई परेशानी न हो। बहुत से घरों में एक कमरों को आनलाइन क्लास रूम की तैयारी कर दी गई है।
समस्तीपुर (दलसिंहसराय), जासं। कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए जिले में विद्यालयों को बंद कर दिया गया। अब बदलते माहौल में आनलाइन पढ़ाई के स्वरूप ने घर को ही स्कूल बना दिया। बच्चे आनलाइन क्लास के समय से पूर्व ही घर के लैपटाप या मोबाइल के पास बैठ जाते है। अभिभावकों के घरेलू कार्यों में एक नया काम यह भी जुड़ गया है कि आनलाइन क्लास के समय उन्हें कोई परेशानी न हो। बहुत से घरों में एक कमरों को आनलाइन क्लास रूम की तैयारी कर दी गई है। यहां इंटरनेट के साथ लैपटाप और बड़ी स्क्रीन वाला स्मार्ट टीवी है। इससे बच्चे अपनी आनलाइन पढ़ाई करते हैं।
शहर के विभिन्न निजी विद्यालय में पढने वाली साक्षी, ज्योति रत्न, पीहू कहती हैं कि स्कूल में पढऩा एक अलग अनुभव था। कोरोना के कारण स्कूल बंद हो गए। परीक्षा का समय चल रहा है। सिलेबस को भी पूरा करना है। जिस किसी माध्यम से पढ़ाई हो रही है, उसी से किसी तरह पढ़ लेना है। कभी शिक्षकों का नेट स्लो हो जाता है तो कभी मेरे घर पढ़ाई के दौरान किसी मामा या मौसा का फोन मोबाइल पर आ जाता है। इससे आनलाइन पढ़ाई में कठिनाई हो जाती है, लेकिन कर भी क्या सकते है। स्कूल बंद है तो आनलाइन ही पढऩा है।
आनलाइन पढऩा मजबूरी
शहर के मेन बाजार निवासी सुमन सिंंह, संगीता कुमारी, धर्मेद्र कुमार कहते हैं कि कोरोना को बढ़ते प्रकोप को लेकर स्कूल बंद है। बच्चों की पढ़ाई किसी तरह तो करानी है। हर बार परीक्षाओं के समय के दौरान जनवरी से लेकर मार्च माह तक कोरोना का प्रकोप बढऩे के कारण स्कूल बंद हो जाता है।
वर्ग की शिक्षा बेहतर
स्कूल में बच्चों का मानसिक विकास होता है। वर्ग में पढऩे के दौरान दूसरे बच्चों से कुछ नया सीखने की ललक पैदा होती है। यह आनलाइन शिक्षा से संभव नही है। आनलाइन शिक्षा के माध्यम से सिर्फ पाठ्यक्रम को पूरा किया जा सकता है। बच्चों को उचित शिक्षा प्रदान नही की जा सकती है। - सुमन साहू , शिक्षिका, दलसिंहसराय