यहां 17 सालों में भी पूरा नहीं हो सका है रैन बसेरा का निर्माण, गरीब झेलते परेशानी
चंपारण जिले के रामनगर में गरीबों के ठहरने के लिए स्थायी रैन बसेरा निर्माण की योजना फलीभूत नहीं हो रही। कड़ाके की ठंड बरसात अत्यधिक गर्मी में इनके लिए रात बितानी होती मुश्किल।
पश्चिम चंपारण, [गौरव वर्मा]। यही हाल रहा तो पश्चिम चंपारण जिले के रामनगर में इस साल भी ठंड में लोग अस्पतालों व स्टेशन पर ही शरण लेंगे। रैन बसेरा के निर्माण की योजना 17 साल बाद भी अबतक धरी की धरी ही है।
गरीबों के लिए स्टेशन, माल गोदाम, मंदिर , अस्पताल परिसर ही आशियाना
ठंड, बारिश, गर्मी का सितम सबसे अधिक वे लोग झेलते जिनके पास सिर छिपाने तक की जगह नहीं। शहरी क्षेत्र में ऐसे परिवारों की संख्या दर्जनों में है। ये प्लेटफार्म समेत अन्य सार्वजनिक स्थलों पर शरण लेकर खानाबदोश का जीवन जीते हैं। ऐसे लोगों के समक्ष जीवन बड़ी चुनौती खड़ी करता है। ऐसे लोगों के लिए शहरी क्षेत्र में रैन बसेरा की व्यवस्था की जाती है। रामनगर में कोई स्थायी ठौर नहीं होने के कारण गरीब व आश्रयहीन लोग स्टेशन, माल गोदाम, शिव मंदिर परिसर, अस्पताल परिसर आदि को ही अपना अस्थायी आशियाना बना लेते हैं।
रैन बसेरा का अभाव खटकता
रामनगर को सन 2002 में नगर पंचायत का दर्जा मिला था। पर, इतने सालों में जिस तरह सड़क व नाला आदि का निर्माण हुआ है, उसके मुकाबले अन्य कार्यों की गति काफी धीमी है। इसकी बानगी रैन बसेरा है। जिसका निर्माण 17 वर्षों में पूरा नहीं हो सका।
आसरे को सार्वजनिक भवन नहीं
प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में भी सामुदायिक भवन व कुछ पंचायतों के पंचायत सरकार भवन को छोड़ दें तो लोगों को आश्रय देने के लिए सार्वजनिक भवन नहीं बने हैं, जहां लोग आश्रय लेकर बारिश, ठंड व गर्मी से बच सकें। सामुदायिक भवन व पंचायत सरकार भवन की चाबी किसके पास रहती, इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती है।
ठंड के कारण गई थी जान
पिछले साल ठंड में एक आश्रयहीन व्यक्ति की मौत नगर के शिवालय के प्रांगण में हो गई थी। इसके बावजूद किसी की तंद्रा नहीं टूटी।
फिलहाल योजना प्रस्तावित नहीं
कार्यपालक पदाधिकारी जीतेंद्र सिन्हा कहते हैं कि स्थायी रैन बसेरा बनाने की कोई योजना फिलहाल प्रस्तावित नहीं है। विभागीय स्तर पर तीन अस्थायी रैन बसेरा बनाने की योजना है, जिनपर कार्य चल रहा है।