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मुआवजे के 'गड्ढे' में फंसी मुजफ्फरपुर-हाजीपुर बाइपास सड़क, 2009 से शुरू हुआ था निर्माण

16 किलोमीटर लंबी मुजफ्फरपुर-हाजीपुर बाइपास 20 गांवों से गुजरेगी। 2009 में अनुमानित लागत 671 करोड़ रुपये था अब इसके एक हजार करोड़ होने की आशंका।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 11:57 AM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 11:57 AM (IST)
मुआवजे के 'गड्ढे' में फंसी मुजफ्फरपुर-हाजीपुर बाइपास सड़क, 2009 से शुरू हुआ था निर्माण
मुआवजे के 'गड्ढे' में फंसी मुजफ्फरपुर-हाजीपुर बाइपास सड़क, 2009 से शुरू हुआ था निर्माण

मुजफ्फरपुर, [अमरेंद्र तिवारी]। भारत-नेपाल सीमा से राजधानी पटना जाने वाले लोगों को मुजफ्फरपुर शहर के जाम से मुक्ति दिलाने के लिए मुजफ्फरपुर-हाजीपुर बाइपास का निर्माण किया जाना था। सदातपुर-मधौल के बीच बनने वाली यह सड़क भी मुआवजे के गड्ढे में जा फंसी है। जो कार्य 2013 में पूरा हो जाना चाहिए, वह छह वर्ष बाद भी अधूरा है। भूमि अधिग्रहण के बाद निर्माण काम 2009 से शुरू हुआ था। उस समय अनुमानित लागत खर्च 671 करोड़ रुपये था।

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  लेकिन, काम समय पर पूरा नहीं होने के कारण लागत का अनुमानित खर्च करीब एक हजार करोड़ तक जाने की आशंका है। इस सड़क के बन जाने के बाद भारत-नेपाल सीमा से जुड़े जिले के लोगों के साथ-साथ मुजफ्फरपुर व वैशाली लोकसभा से जुड़े एक बड़े इलाके के लोगों को यातायात की सुविधा मिलती। दुर्भाग्य यह कि इस बाइपास के निर्माण की दुश्वारियों को दूर करने की दिशा में कोई पहल नहीं की जा रही।

पहल करने वाला कोई नहीं

तापमान बढऩे के साथ-साथ चुनाव की सरगर्मी भी बढ़ रही है। इस बीच एक-एक चुनावी मुद्दे सामने आते जा रहे हैं। हाजीपुर-मुजफ्फरपुर बाइपास के हाल पर मनोज कुमार ने कहा कि पहल करने वाला कोई नहीं है। नहीं तो आज यहां की स्थिति बदल चुकी होती। बोले- यह बाइपास-सदातपुर-पहाड़पुर के पास कांटी वाली सड़क में मिल जाएगी। पकड़ी में अरविंद प्रसाद व गौतम महतो ने बाइपास पर बातचीत में कहा कि यह सड़क अगर बनकर तैयार हो जाती जो इस इलाके का भला होता। लेकिन, विडंबना देखिए पुल अधूरा बना है। इसकी चिंता किसी को नहीं। पुल के नीचे का घर खाली करा दिया गया है। लेकिन, सड़क तो अधूरा ही रही।

जाम की परेशानी से मिल जाती मुक्ति

चर्चा आगे बढ़ी तो बताया कि अगर यह बाइपास बन जाए तो भारत-नेपाल से जुड़े पूर्वी चंपारण, पश्चिम चम्पारण, शिवहर, सीतामढ़ी के साथ दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, अररिया, पूर्णिया, सहरसा आदि जिले से पटना के लिए चलने वाली बस या अन्य वाहन को मुजफ्फरपुर के जाम में नहीं फंसना होगा। गौतम ने बताया कि यह करीब 16 किलोमीटर लंबी सड़क है और 20 गांवों से गुजरते हुए जाएगी।

2013 में ही पूरा होना था काम

एनएच-77 हाजीपुर-मुजफ्फरपुर खंड में कुल लंबाई 66 किलोमीटर है। इसमें मधौल-सदातपुर बाइपास सड़क करीब 16 किलोमीटर लंबी है। 2009 में इस कार्य की शुरुआत हुई और इसे 2013 तक पूरा हो जाना था। इस समय इसकी लागत करीब 671 करोड़ आंकी गई थी, लेकिन निर्माण समय पर नहीं होने से आज निर्माण लागत करीब एक हजार करोड़ आंकी गई है।

इन गांवों से गुजरेगी सड़क

पकोही खास, बथना राम, मधुबन, रूपौली रेपुरा, चिकनौटा, डुमरी, पतांही, मधुबनी, मादापुर चौबे, बारमतपुर, खबरा, लश्करीपुर, सदातपुर, मधुबन जगदीश, शहबाजपुर, पानापुर हवेली, माधोपुर मछिया, वाजिदपुर कोदरिया, मादापुर रैयती, मधौल, दरियापुर कफेन,सकरी सरैया, तुर्की, थमहां, चंद्रहटी, कमतौल, बलिया, फतेहपुर कस्तुरी, रजला, विशुनुपर मंगर, ढोढ़ी आनंदकर, ढोढ़ी लाला, फकुली ।


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