बिहार पंचायत चुनाव 2021 में पार्टी समर्थित उम्मीदवारों को मदद करेगी कांग्रेस
जिला कांग्रेस कमेटी की बैठक में विधानसभा चुनाव में पार्टी की स्थिति पर हुई चर्चा। कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के साथ खड़ा होने का लिया संकल्प। सकरा सीट सरकारी मशीनरी के गलत इस्तेमाल के कारण हासिल नहीं हुई।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। जिला कांग्रेस कमेटी पंचायत चुनाव में पार्टी समर्थित उम्मीदवार की मदद करेगी। उनकी जीत के लिए पार्टी के नेता एवं कार्यकर्ता गांव-गांव अभियान चलाएंगे। कृषि कानून के खिलाफ सड़क पर उतरे किसानों के साथ पार्टी पूरी ताकत के साथ जिले में खड़ी रहेगी। यह निर्णय बुधवार को तिलक मैदान स्थित कार्यालय में अध्यक्ष अरविंद कुमार मुकुल की अध्यक्षता में हुई जिला कांग्रेस कमेटी की बैठक में लिया गया।
बैठक में विधानसभा चुनाव में पार्टी की स्थित का आकलन किया गया। जिलाध्यक्ष ने कहा कि विधानसभा चुनाव में पार्टी ने जिन तीन सीटों पर चुनाव लड़ी उसमें से नगर सीट पर सफलता मिली। सकरा सीट सरकारी मशीनरी के गलत इस्तेमाल के कारण हासिल नहीं हुई। तीसरी सीट पारू महागठबंधन के बागी उम्मीदवार शंकर यादव के कारण गवांनी पड़ी। उन्होंने कहा कि आने वाले पंचायती राज चुनाव में कांग्रेस पार्टी अपने कार्यकर्ताओं एवं मजबूत संगठन के बल पर जिले के सभी 16 प्रखंडों में अपने समर्थित उम्मीदवारों को मैदान में उतारेगी। बैठक में कार्यकारी अध्यक्ष सूरज दास, कृपाशंकर शाही, प्रवक्ता वेद प्रकाश, उमाशंकर सिंह, मनौवर आजम, सुरेश शर्मा नीरज, उमेश राम, चंद्रकांत मिश्रा, अबू बकर, देवनाथ ङ्क्षसह, अजीत सिन्हा आदि ने भाग लिया।
निगम की अंतहीन लड़ाई में फंसा शहर का विकास
मुजफ्फरपुर : नगर निगम की अंतहीन लड़ाई में शहर का विकास फंसा हुआ है। कभी कुर्सी को लेकर निगम के जनप्रतिनिधि आपस में लड़ते हैं तो कभी अधिकार के लिए जनप्रतिनिधि व अधिकारी आमने-सामने होते हैं। महापौर एवं नगर आयुक्त के बीच जारी टकराव इसी अंतहीन लड़ाई का हिस्सा है। वर्तमान निगम बोर्ड की बात करें तो विकास का कोई काम नहीं हुआ लेकिन लड़ाई-झगड़ा का रिकॉर्ड जरूर कायम हुआ। नगर आयुक्त की कुर्सी साढ़े तीन साल में चार अधिकारी संभाल चुके हैं लेकिन एक की भी महापौर से नहीं बनी। निगम की लड़ाई कई बार सरकार तक पहुंची इसके बावजूद समाधान नहीं निकल पाया।
समस्याओं की मार झेल रहे शहरवासी
नगर निगम में चल रही लड़ाई की मार शहरवासियों को झेलनी पड़ रही है। गंदगी, जलजमाव, जर्जर सड़क, पेयजल संकट, मच्छरों के दंश से शहरवासी जूझ रहे हैं। इन समस्याओं से मुक्ति के लिए निगम के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की ओर देख रहे हैं। उनसे गुहार लगा रहे हैं। शहर के कई मोहल्लों में नाला का पानी सड़क पर बह रहा है। डंपिंग प्वाइंट पर जमा कचरे का उठाव नहीं हो रहा है। शहर की आधी आबादी अब भी प्यासी है। जर्जर सड़कों पर लोग हिचकोले खा रहे हैं। मच्छरों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। सड़कों पर खुलेआम घूम रहे रहे पशुओं की मार से लोग घायल हो रहे हैं। इसकी चिंता न जनप्रतिनिधियों को है और न ही अधिकारियों को। सब कुर्सी, अधिकार एवं राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई में फंसे हुए हैं।
मुकाम तक नहीं पहुंच पा रहीं योजनाएं
शहर के विकास की दर्जनों योजनाएं मुकाम तक नहीं पहुंच पा रहीं हैं। योजनाओं के नाम पर सरकार से मिली राशि खजाने की शोभा बढ़ा रही है। सामुदायिक शौचालय के निर्माण का काम डेढ़ साल से लंबित है। सड़क निर्माण योजनाएं विभागीय प्रक्रिया में फंसी हुईं हैं। जलजमाव से मुक्ति को बनी जलनिकासी योजना पर काम मंद गति से चल रहा है। कचरा निष्पादन को बनी योजना मूर्त रूप नहीं ले पा रही है। योजनाओं की राह में आ रही बाधाओं को दूर करने की लड़ाई लडऩे को कोई तैयार नहीं।